*जिला भोपाल में (डॉ.एन.पी मिश्रा) ने आजीवन मानवमात्र की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं समाज से लेते नहीं है समाज को सिर्फ देते हैं*
जिला भोपाल मध्य प्रदेश

*जिला भोपाल में (डॉ.एन.पी मिश्रा) ने आजीवन मानवमात्र की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं समाज से लेते नहीं है समाज को सिर्फ देते हैं*
(पढ़िए मध्य प्रदेश हेड राजमणि पांडे की रिपोर्ट)
विशेष लेख
संदर्भ :- स्व. डॉ. एन.पी. मिश्रा को पद्मश्री
आजीवन मानवमात्र की सेवा में सदैव तत्पर रहे पद्मश्री डॉ. एन.पी. मिश्रा
समाज से कुछ लेने के बाद समाज को बहुत कर देकर गए डॉ. मिश्रा
पद्मश्री डॉ. एन.पी. मिश्रा ने मध्यप्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया गौरवांवित
बबीता मिश्रा
ऐसे लोग विरले ही होते हैं जो समाज में ख्याति प्राप्त कर समाज को देने के बारे में सोचते हैं। उन्हीं में से एक थे स्वर्गीय डॉ. एन.पी. मिश्रा। डॉ. मिश्रा ने आजीवन अपने चिकित्सीय ज्ञान को अद्यतन किया साथ ही अपने रिचर्स वर्क को प्रकाशित करवाकर अन्य डॉक्टर्स के माध्यम से प्रसार कर देश और दुनिया के मरीजों को फायदा पहुँचाया। डॉ. मिश्रा ने गांधी मेडीकल कॉलेज में डीन रहते हुए गहन चिकित्सा यूनिट को तकनीकी रूप से अद्यतन किया साथ ही चिकित्सा पद्धत्ति में लगातार सुधार कर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई। गैस त्रासदी में अपनी जान जोखिम में डालकर हजारों जिंदगी बचाने में उनके अदम्य साहस को आज भी भोपाल पूरी श्रृद्धा से स्मरण करता है।
डॉ. मिश्रा ने एमबीबीएस की पढ़ाई गांधी मेडीकल कॉलेज से की और यह भी कमाल थ कि वे इसी कॉलेज के फिर कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष भी बने। डॉ. मिश्रा चिकित्सा जगत के भीष्म पितामह और चिकित्सकों के संरक्षक के रूप में जाने जाते थे।
*दिन – रात जागकर भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों की सेवा की*
भोपाल गैस त्रासदी के समय डॉ. एन.पी. मिश्रा ने अपनी सूझ-बूझ और ज्ञान से अधिकाधिक पीड़ितों की जान बचाई। उन्होंने दिन रात जागकर गैस रिसाव से 2 लाख लोगों की हुई गंभीर बीमारियों एवं संकट से तत्काल राहत दिलाकर कई लोगों की जान बचाई। मिथाईल आईसो साईनाइट गैस की तीव्रता और उसके त्वरित उपचार उपाय तत्काल बताने वाले डॉ. एन.पी. मिश्रा ही थे, जिनकी एडवाइजरी ने हजारों जिंदगियों और उनके परिवारों को काल के गाल में समाने नहीं दिया।
*कार्डियोलॉजी पर लिखी किताब*
डॉ. मिश्रा ने कार्डियोलॉजी पर एक किसाब लिखी थी जो डीएम कार्डियोलॉजी के छात्र पढ़ते हैं। उनकी किताब का नाम है, “प्रोग्रेस एंड कार्डियोलॉजी”। इस पुस्तक का विमोचन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा द्वारा किया गया था।
डॉ. मिश्रा मानव स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन कर अपने ज्ञान के माध्यध्म से सेवा करने के लिये पूर्णत: समर्पित और प्रतिबद्ध थे। वे हमेशा सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये गंभीर बीमारियों के इलाज का समाधान खोजते थे और अपने उपचार में उन्हें लागू करते थे। उनका निदान बहुत स्पष्ट और तेज था वे चिकित्सा क्षेत्र में नवीनतम विकास और अनुसंधान के साथ खुद को अद्यतन रखते थे। डॉ. मिश्रा हमेशा नवीनतम खोजों एवं नवाचारों को अपने उपचार में लागू करते थे।
*239 शोध – पत्र की विरासत*
डॉ. मिश्रा के 239 शोध पत्र प्रकाशित हुए। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध पत्र प्रस्तुत और प्रकाशित किये हैं जिसमें रक्त वाहिकाओं के अवरूद्ध होने से उत्पन्न विभिन्न रोगां का उपचार एवं सर्पदंश का उपचार सहित कई अन्य रोगों का उपचार शामिल है। उन्हें अभूतपूर्व चिकित्सा सेवा के लिये कई अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। आज भी हमारे पास उनके अद्भुत ज्ञान के ये शोध पत्र विरासत के रूप में है। ये शोध पत्र उनके न रहने पर भी पीड़ित मानवता की सेवा करते रहेंगे।
डॉ. मिश्रा को 1973 में रॉयल कॉलेज ऑफ फीजिशियन एडिनबर्ग यूके में एफआरसीपी पुरस्कार, 1964 में इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फीजिशियन, चीओ ने एफसीसीपी पुरस्कार, 1974 में इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ एंजियोलॉजी न्यूयार्क में एफआईसीए पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय स्तर पर भी डॉ. एन.पी. मिश्रा को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1976 में अखिल भारतीय मधुमेह संस्थान बॉम्बे द्वारा एफएआईआईडी, 1983 में इंडियन सोसायटी ऑफ इलेक्ट्रो कॉर्डियोलॉजी, बॉम्बे द्वारा एफआईएआई पुरस्कार, वर्ष 1984 में नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फीजिशियन नई दिल्ली द्वारा एफएनसीसीपी पुरस्कार, 1986 में नेशनल एकेडमी ऑफ मेडीकल साइंसेज नई दिल्ली द्वारा एफएएमएस, वर्ष 1988 में इंडियन कॉलेज फीजिशियन बॉम्बे द्वारा एफएपीआई पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
डॉ. मिश्रा चिकित्सा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिये सदैव स्मरणीय रहेंगे। उनकी सेवाओं का सम्मान करते हुए केन्द्र सरकार द्वारा उन्हें मरणोपरांत 25 जनवरी को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा की गई। प्रदेश के इस लाल के व्यक्तित्व और कृतित्व ने मध्यप्रदेश की भूमि को न केवल देश में वरन पूरे विश्व में गौरवांवित किया है।
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क्रमांक/258/258, भोपाल : 27 जनवरी, 2022 लेखक, संभागीय जनसम्पर्क कार्यालय में सहायक संचालक हैं।