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*वन मंडल कोतमा परिक्षेत्र के शिवलहरा में अनुभूति कार्यक्रम का हुआ आयोजन*

अनुपपूर जिला मध्य प्रदेश

वन मंडल कोतमा परिक्षेत्र के शिवलहरा में अनुभूति कार्यक्रम का हुआ आयोजन

प्रकृति के महत्व एवं उसके संरक्षण से हुए बच्चे रू-ब-रू

रिपोर्टर – संभागीय ब्यूरो चीफ

अनूपपुर/12 जनवरी 2022/

अनूपपुर वन मंडल के कोतमा परिक्षेत्र के शिवलहरा नामक ऐतिहासिक स्थान पर अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अनुभूति कार्यक्रम भविष्य की पीढ़ी को प्रकृति संरक्षण से जोड़ने और समाज में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से पूरे मध्यप्रदेश में आयोजित किया जाता है। कार्यक्रम में मुख्य वन संरक्षक पी.के.वर्मा, सहायक वन संरक्षक के. बी. सिंह, वन परिक्षेत्राधिकारी परिवेश सिंह भदौरिया, मास्टर ट्रेनर संजय पयासी, मास्टर ट्रेनर शशिधर अग्रवाल, परिक्षेत्र सहायक कोतमा जवाहर लाल धर्वे, भालूमाड़ा और दारसागर विद्यालयों के शिक्षकगण, वन विभाग कोतमा का समस्त स्टाफ और स्थानीय जन उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में भालूमाड़ा और दारसागर विद्यालयों के 120 बच्चे शामिल हुए।

कार्यक्रम में मुख्य वन संरक्षक पी.के.वर्मा ने बच्चों को प्रकृति के महत्व और उसके संरक्षण में बच्चों की क्या भूमिका है इस पर विस्तार से बात की। उन्होंने जैव विविधता से संबंधित प्रश्न पूछकर बच्चों की जिज्ञासा का भी समाधान किया। सहायक वन संरक्षक के. बी. सिंह ने बच्चों को अनुभूति कार्यक्रम का उद्देश्य बताया। वन परिक्षेत्राधिकारी परिवेश सिंह भदौरिया ने वन विभाग की संरचना बच्चों को बताई।

मास्टर ट्रेनर संजय पयासी एवं मास्टर ट्रेनर शशिधर अग्रवाल ने कार्यक्रम की शुरुआत में बच्चों को केवई नदी के किनारे भ्रमण करवाया, जहां बच्चों ने पक्षी दर्शन किया। भालू की गुफाओं (माड़ा) की वजह से ही इस क्षेत्र का नाम भालूमाड़ा पड़ा यह भी जाना। नदी में किस तरह खेतों और नालों से पानी आता है यह भी देखा। नदी की संरचना के बारे में मास्टर ट्रेनरों द्वारा विस्तार से बताया गया।
बच्चों ने मिट्टी के अपरदन को समझा और उसके संरक्षण में घास, झाड़ी, पौधे और पेड़ों की क्या भूमिका है, यह भी विस्तार से जाना। बच्चों को अनूपपुर में पाए जाने वाले जंगली जानवरों, साँपों के बारे में भी बताया गया और सर्पदंश की भ्रांतियों और उससे बचने के लिए उपाय बताए गए।

बच्चों ने ऐतिहासिक गुफाओं को समझा और उसमें बने शैलचित्रों के बारे में कहानी सुनी। केवई नदी के किनारे अबाबील पक्षी की बस्ती देखी, जिसके प्रेरणा से मनुष्य ने घर बनाना सीखा। बच्चों ने केवई नदी के किनारे बैठकर वन देवी और ग्रामदेवता का आह्वान किया और उनसे संसार को कोरोना से मुक्त करने की प्रार्थना भी की। बच्चों ने पेड़ों के नाम पर आधारित गांवों और बस्तियों के बारे में कहानियों पर बात की। कार्यक्रम में बच्चों ने भी पर्यावरण संरक्षण पर नाटक और नृत्य की प्रस्तुति दी और पुरुस्कार प्राप्त किए।

‘‘सुहा लहक त है डाल में’’ गाने पर मनमोहक घनृत्य करने वाली शासकीय माध्यमिक विद्यालय दारसागर की टीम प्रथम स्थान पर रही। कार्यक्रम में वन विभाग कोतमा में पदस्थ सर्प प्रहरी हरिवंश प्रसाद पटेल ने पर्यावरण संरक्षण पर एक बघेली गीत प्रस्तुत किया, जिसे बच्चों ने काफी पसंद किया।

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