*त्वरित न्याय के लिए न्यायालय में मूल दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक – विशेष न्यायाधीश, लोक अभियोजन*
शहडोल जिला मध्य प्रदेश

त्वरित न्याय के लिए न्यायालय में मूल दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक – विशेष न्यायाधीश, लोक अभियोजन
अभियोजन एवं पुलिस अधिकारी समन्वय के साथ करे कार्य तो अपराधी होंगे दंडित – एडीजी
न्याय का अंतिम छोर न्यायालय – कलेक्टर
लोक अभियोजन अधिकारियों की कार्यशाला संपन्न
रिपोर्टर – संभागीय ब्यूरो चीफ
शहडोल/9 जनवरी 2022/
संचालक लोक अभियोजन संचालनालय भोपाल के निर्देशानुसार दिन रविवार को जिला अभियोजन कार्यालय शहडोल द्वारा नवीन विधिक परिदृश्य में अभियोजन अधिकारियों को कार्य दक्षता में संवर्धन हेतु एक दिवसीय संभागीय कार्यशाला का आयोजन कलेक्टर कार्यालय के विराट सभागार में किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ विशेष न्यायाधीश भूरे लाल प्रजापति, एडीजी डी.सी. सागर, कलेक्टर वंदना वैद्य द्वारा मां सरस्वती के छाया चित्र में माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया। आयोजित कार्यशाला में विशेष न्यायाधीश भूरेलाल प्रजापति ने संबोधित करते हुए कहा कि न्यायालयों में जो केस पेंडिंग होते उनके त्वरित न्याय के लिए मूल्य दस्तावेज आवश्यक होते हैं।
उन्होंने कहा की अपराधियों को दंडित कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में अपराधियों के विरुद्ध सच्चे सबूत व मूल दस्तावेज अत्यंत आवश्यक होते हैं और मूल दस्तावेज होने से न्याय करने में काफी मदद मिलती है और अपराधियों को दंडित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में जो मामले आते हैं वह अलग-अलग तरीकों के होते हैं और जो दस्तावेज प्राप्त होते हैं वह अपूर्ण दस्तावेजों के माध्यम से अपराध को प्रमाणित नहीं किए जा सकता। जिसके कारण न्यायालयों में केस पेंडिंग हो जाते हैं।
उन्होंने साहूकारी के मामले, एसटी एससी एक्ट सहित अन्य मामलों पर भी विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला को संबोधित करते हुए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शहडोल जोन डी.सी. सागर ने कहा कि सभी अभियोजन अधिकारी एवं पुलिस अधिकारियों समन्वय के साथ कार्य करें तो अपराधियों को दंडित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी एवं अभियोजन अधिकारी अपने-अपने स्तरों पर दस्तावेजों का परीक्षण बारीकियों से करना चाहिए फिर उस फाइल को आगे बढ़ाना चाहिए जिससे न्याय करने में किसी भी प्रकार की समस्या न हो और जो वास्तव में अपराधी है उसे दंडित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने कार्य के प्रति सजग रहना चाहिए। कार्यशाला को संबोधित करते हुए एडीजी डी.सी. सागर ने कहा कि सभी अधिकारियों को डीएनए की जांच रिपोर्ट के महत्व की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने एफआईआर, घटनास्थल का मुआयना सहित अन्य जानकारियों के बारे में अवगत कराया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए कलेक्टर वंदना वैद्य ने कहा कि जो भी प्रकरण लंबित होते हैं उसका निराकरण होता है उसका न्यायालय में प्राथमिकता के साथ निराकरण किया जाता है तथा न्याय का अंतिम छोर न्यायालय ही होता है।
कार्यशाला में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम प्रमोद आर्य, प्रभारी उप संचालक जिला अभियोजन विश्वजीत पटेल, मीडिया प्रभारी नवीन कुमार वर्मा ने भी चालान, स्क्रुटनी, सनसनीखेज के प्रकरण सहित अन्य प्रकरणों पर विस्तृत जानकारियों से अवगत कराया।इस अवसर पर अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी अनूपपुर राम नरेश गिरी, व्यवहारी आर.के. चतुर्वेदी, बुढार आर.के. रावत सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कविता कैथवस ने किया।