*फसलों को शीतलहर पाले से बचाने उपसंचालक कृषि ने दी किसानों को सलाह*
अनुपपूर जिला मध्य प्रदेश

फसलों को शीतलहर पाले से बचाने उपसंचालक कृषि ने दी किसानों को सलाह
रिपोर्टर – संभागीय ब्यूरो चीफ
अनूपपुर/23 दिसम्बर 2021/
जिले में शीतलहर का प्रकोप चरम पर है किसानों को अपनी फसल को ठंड एवं पाला से सुरक्षित करने के लिए कृषि विभाग के उप संचालक एन.डी. गुप्ता ने एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने किसानों को समझाइश दी है कि रबी की फसलों को शीतलहर पाले से काफी नुकसान होता है। जब तापक्रम 5 डिग्री से.ग्रे. से कम होने लगता है तब पाला पड़ने की पूर्ण संभावना होती है। हवा का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे गिर जाये। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बन्द हो जाये तथा आसमान साफ रहे या उस दिन आधी रात से ही हवा रुक जाये तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है। रात को विशेषकर तीसरे एवं चौथे प्रहर में पाला पड़ने की संभावना रहती है। साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाये यदि शीत लहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई नुकसान नहीं होता है। परन्तु यही इसी बीच हवा चलना रुक जाये तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।
शीत लहर एवं पाले से फसल की सुरक्षा के उपाय
जब भी पाला पड़ने की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई दे देनी चाहिए। जिससे तापमान डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है सिंचाई करने से 052 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती हैं।
पौधे को ढकें
पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 23 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है।
जिससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं। पॉलीथीन की जगह पर पुआल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे।
खेत के पास धुंआ करें
अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत में धुंआ पैदा कर दें, जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता और पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है।
रासायनिक उपचार
जिस दिन पाला पड़ने की सम्भावना हो उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिये। इस हेतु एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़कें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15 से 15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें।
उन्होंने कहा है कि सल्फर 90 प्रतिषत डब्ल्यूडीजी पाउडर को 3 किलोग्राम 1 एकड़ में छिड़काव करने के बाद सिंचाई करें। सल्फर 80 पाउडर को 40 ग्राम प्रति पम्प (15 लीटर पानी में मिलाकर) स्प्रे करें।
दीर्घकालिन उपाय
फसलों को बचाने के लिये खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी अरडू एवं जामुन आदि लगा दिये जाये तो पाले और ठण्डी हवा के झोंको से फसल का बचाव हो सकता है।