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*पानी से परेशान गरीब जनता जिंदगी और मौत से खेलने को है मजबूर- जंगल से लाते है पीने का पानी*

मानेद्रगढ़ कोरिया जिला छत्तीसगढ़

पानी पीने के लिए परेशान गरीब जनता जिंदगी और मौत से खेलने को है मजबूर- जंगल से लेकर आते है पानी

*जंगल में स्थित झरना से जंगली जानवरों से बचते-बचाते जान जोखिम में
डालकर पीने के लिए पानी ला रहे बड़टोलावासी*
मनेंद्रगढ़।* पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा के लिए जान जोखिम में डालकर
जंगली जानवरों से
बचते-बचाते रोजाना 2 किलोमीटर का दुर्गम जंगली इलाका तय करना खोंगापानी के बड़टोला
वासियों की नियति बन चुकी है। बड़ों के साथ बच्चे भी अपनी जान की परवाह न कर पानी के
लिए लंबा सफर तय कर रहे हैं और जिम्मेदारों की बेपरवाही का यह आलम रहा कि
जिन पैसों से
पेयजल की व्यवस्था करनी थी, वह सारी राशि खर्च कर दी गई, लेकिन बड़टोला के रहवासियों
के लिए पेयजल की कोई माकूल व्यवस्था करना जरूरी नहीं समझा गया।
मनेंद्रगढ़ विकासखंड अंतर्गत नगर पंचायत खोंगापानी के वार्ड क्र. 13 का एक
हिस्सा बड़टोला
जहां करीब 25 से 30 की संख्या में घर हैं, लेकिन यहां निवास करने वालों
के लिए पेयजल जैसी
मूलभूत सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं है। साल भर पानी की एक-एक बूंद के लिए जद्दोजहद
करते बड़टोला वासियों के लिए बस्ती में स्थित एक पुराना कुंआ ही उनके
पेयजल और निस्तार
का आधार है, लेकिन बरसात के समय इसका पानी जब बिल्कुल भी पीने लायक नहीं रह जाता,
तब यहां के लोग साफ पानी के लिए बस्ती से 2 किलोमीटर दूर दुर्गम रास्ते
को तय कर जंगल में
आमानाला स्थित झरना से पानी लाने घर से निकल पड़ते हैं, लेकिन रास्ते में
उन्हें अक्सर जंगली
जानवरों का भय बना रहता है।

*जंगल पानी ले जा रहे लोगों पर भालू कर रहे हमला*
वार्डवासी सेवानिवृत्त कॉलरी कर्मचारी 65 वर्षीय प्यारे लाल कहते हैं कि
बस्ती से 2 किलोमीटर
दूर आमानाला जंगल में स्थित झरना से दुर्गम रास्तों को तय कर पानी लाना
यहां के निवासियों की
नियति बन चुकी है। रास्ते में कई बार भालुओं के हमले में यहां के लोग
घायल भी हो चुके हैं।
उन्होंने बताया कि पानी लाने गए उनके बेटे जगदीश एवं उसके साथ गए अन्य 3 लोगों को
भालुओं ने हमला कर घायल कर दिया था। वहीं 4 दिन पहले बड़टोला निवासी 30 वर्षीय युवक
नारेंद्र पैकरा झरना की ओर से लौट रहा था, तभी रास्ते में भालू ने हमला
कर उसे घायल कर दिया
है।

*पेयजल के नाम पर निभाई जा रही औपचारिकता*
बड़टोला में रहने वाली गृहिणी 40 वर्षीया लक्ष्मी सिंह कहती हैं कि उन्हें
बताया जाता है कि
भूमिगत खदान होने की वजह से यहां बोरिंग सफल नहीं है। 25 से 30 घरों के
बीच सप्ताह में मात्र
1 दिन 2 टैंकर पानी नगर पंचायत द्वारा पहुंचाया जा रहा है, जो बिल्कुल भी
पर्याप्त नहीं है। उन्होंने
नगर पंचायत को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि एक तरह से पेयजल के नाम पर महज
औपचारिकता निभाई जा रही है। पेयजल के स्थाई और पर्याप्त व्यवस्था के लिए
शीघ्र कोई ठोस
पहल होनी चाहिए।

*राज्यमंत्री कमरो के निर्देश के बावजूद नहीं कराया गया कुंआ निर्माण*
वार्ड पार्षद कमलभान चौधरी ने बताया कि पेयजल की भयावह समस्या को देखते
हुए वार्डवासियों
की मांग पर उनके द्वारा राज्यमंत्री विधायक गुलाब कमरो से कुंआ निर्माण
की मांग की गई थी,
जिस पर उन्होंने नगर पंचायत के इंजीनियर को तत्काल स्टीमेट बनाने एवं
तात्कालीन सीएमओ
मुक्ता सिंह चौहान को एसईसीएल से प्राप्त 1 करोड़ 60 लाख 76 हजार निकाय की
राशि में से ही
कुंआ निर्माण कराने के निर्देश भी दिए थे। इसके बाद 5 माह पहले मार्च
2021 में कुंआ निर्माण
कार्य का भूमि पूजन नगर पंचायत अध्यक्ष धीरेंद्र विश्वकर्मा और तात्कालीन
सीएमओ मुक्ता सिंह
चौहान की मौजूदगी में कराया गया, लेकिन यह कार्य आज तक शुरू नहीं हो सका
है और उन्हें
ऐसी जानकारी मिली है कि एसईसीएल से प्राप्त निकाय की डेढ़ करोड़ से अधिक की पूरी राशि
खर्च हो चुकी है। पार्षद कहते हैं कि आज वे अपने वार्ड में बड़टोला के
निवासियों का सामना
नहीं कर पा रहे हैं। वार्डवासी अक्सर उनसे यह सवाल करते हैं कि कुंआ
निर्माण के लिए भूमि
पूजन हुए लंबा समय व्यतीत हो चुका है, फिर काम आखिर क्यों नहीं कराया जा
रहा है? ऐसे में
अब वे वार्डवासियों को क्या जवाब दें।

*पैसा ही नहीं है फिर काम कहां से होगा – सीएमओ*
नगर पंचायत खोंगापानी के सीएमओ रमेश द्विवेदी का कहना है कि पार्षद ने उन्हें आज तक
पेयजल समस्या से अवगत नहीं कराया है। जब उन्हें यह जानकारी दी गई कि एसईसीएल से
मिली निकाय की राशि से ही कुंआ का निर्माण होना था और इस कार्य का मार्च
माह में भूमि पूजन
तक हो चुका है। इस पर उन्होंने कहा कि पैसा ही नहीं है फिर काम कहां से
होगा। बाद में कहा
कि देखते हैं मरम्मत संधारण मद से 1-2 माह में कुंआ का निर्माण कराया जाएगा।

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