*न्यायालय और प्रशासन के आदेश पर सवालिया निशान खड़े करते ठोंढीपानी में चल रहे भ्रष्टाचार, आदेश मात्र खानापूर्ति के लिए*
तहसील जैतहरी जिला अनुपपुर मध्य-प्रदेश

न्यायालय और प्रशासन के आदेश पर सवालिया निशान खड़े करते ठोंढीपानी में चल रहे भ्रष्टाचार, आदेश मात्र खानापूर्ति के लिए
तो क्या प्रशासनिक अमले के सांठ – गांठ से पंचायत में कराया जा रहा है कार्य, लॉक डाउन का उठा रहे हैं भरपूर फायदा
ठोंढीपानी में नहीं रुक रहा अभी तक कार्य,प्रशासन बनी मूकदर्शक
प्रशासन के नियमों को दरकिनार कर चलाया जा रहा कार्य,दर – दर भटकता पीड़ित,कोई नहीं सुन रहा फरियाद
अनूपपुर / जैतहरी
जिला अनूपपुर के जनपद/तहसील/थाना जैतहरी के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत ठोंढीपानी में इन दिनों लॉक डाउन का भरपूर फायदा उठाते हुए प्रशासन के नियमों और न्यायालय के आदेश की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। पीड़ित दर-दर भटकते हुए जिस गली भी जा रहा है वहीं से उसको सिर्फ निराशा ही मिल रही है यदि पीड़ित जाए तो जाए कहां और गुहार लगाए तो लगाए कहां। पीड़ित के द्वारा एकमात्र लास्ट स्थान न्यायालय बचा है वह भी लॉकडाउन के समय बंद है और इसी का फायदा उठाते हुए ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिव ने अपने मनमानी करने की ठान रखी है दूसरी तरफ देखा जाए तो स्टे आर्डर लगाने वाला तहसील और जिम्मेदारी लेकर उसपर कार्य करने वाले प्रशासनिक अमले ने भी इस पर खानापूर्ति जैसा कार्य बखूबी किया है।
यह है मामला
न्यायालय तहसीलदार तहसील जतारा की स्टे आर्डर का सरपंच सचिव ग्राम पंचायत ठोंढीपानी ने खुला उल्लंघन करते हुए न्याय के लिए दर-दर ठोकर खाने के लिए पीड़ित किसान को छोड़ दिया है वहीं दूसरी तरफ जैतहरी जनपद के अंतर्गत ग्राम पंचायत ठोंढीपानी के सरपंच एवं सचिव के मनमानी एवं दादागिरी जोरों पर है जहां सरपंच एवं सचिव के द्वारा न्यायालय तहसीलदार तहसील जैतहरी के स्थगन आदेश दिनांक 20 अप्रैल 2021 का खुला उल्लंघन कर पूरी तरह से राजस्व विभाग के कार्य को संदेह के दायरे लाकर खड़ा कर दिया है। उक्त आशय की जानकारी पीड़ित किसान पूरन प्रसाद राठौर पिता सुखलाल राठौर ने देते हुए बताया कि ग्राम पंचायत ठोंढीपानी के अंतर्गत आराजी खसरा नंबर 2021/1 रकबा 1,618 हेक्टेयर भूमि जो कि वर्ष 2005 में खरीदी करके प्राप्त किया था जिसका आवेदक के पास पट्टा एवं कब्जा 2005 से है। किसान पूरन प्रसाद राठौर का कहना है कि खरीदी किए हुवे भूमि पर 2005 में ही बोरवेल करवा कर एवं मेल बनवा कर 12 खेत बनाया गया था एवं खेत में बोरवेल कराकर लगातार खेती करके अपना भरण – पोषण एवं परिवार का पालन किया जा रहा था। जिसके मेढ़ में सागौन, आमला एवं चंदन के पौधे लगवाए गए थे उनको सरपंच एवं सचिव ग्राम पंचायत ठोंढीपानी के द्वारा 12 नग ट्रैक्टर एवं प्यार ना जेसीबी लगाकर पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया गया है। यहां तक कि खेत में लगे मिर्च,मटर, प्याज, पपीता, केला, लौकी कटियारी फसलों को भी नष्ट कर दिया गया है। जिस के संबंध में थाना प्रभारी के तारीख शिकायत करते हुए न्यायालय द्वारा जारी स्थगन आदेश का पालन करवाया गया कर सरपंच सचिव के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही किए जाने की मांग किया गया है। किसान पूर्ण प्रसाद राठौर का कहना है कि हमने कई पंचायत घूमकर सरपंच व सचिव को देख और बराक किया चिंटू ग्राम पंचायत ठोंढीपानी के सरपंच एवं सचिव के पूर्व एवं दादागिरी को देखना तो बनता है। जो कि कानून को अपने हाथ में लेकर न्यायालय एवं तहसीलदार के स्थगन आदेश का भी चुनौती देकर जिम्मेदार अधिकारी को अपने सांठगांठ के साथ मिलाकर पूरे भारत देश के संविधान और आम नागरिकों के विश्वास को सोचने पर विवश कर दिया है कि अब भारत देश में क्या बचा है। पीड़ित किसान का कहना है कि अब मेरे पास अपने बाल बच्चों का भरण – पोषण करने के लिए कोई जमीन शेष नहीं बचा है।
प्रशानिक अमले पर खड़े होते सवालिया निशान
प्रशासनिक अमले पर प्रश्न चिन्ह खड़े होकर सवाल करने पर मजबूर कर रही है कि पीड़ित किसान के बार-बार आने और बार-बार दरवाजे पर गुहार लगाने पर भी कोई उसकी मदद क्यों नहीं कर रहा है। पीड़ित किसान की मदद तो दूर यहां पर मीडिया कर्मी के माध्यम से इनको बातों पर ध्यान केंद्रित कराने और इस भ्रष्टाचार पर गौर फरमाने के लिए कहा गया तो इसका भी उल्लंघन बखूबी प्रशासनिक अमले के द्वारा किया गया।
आखिर क्यों नहीं सुन रहे जिम्मेदार
बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है कि प्रशासन के द्वारा हर विभाग में एक अधिकारी नियुक्त किया गया है जिससे कि समाज में हो रहे परेशानियों को दूर किया जा सके परंतु यहां कुछ उल्टा ही देखने को मिल रहा है यहां पर तो प्रशासनिक अमला उल्टा समाज में रहने वाले व्यक्ति पर अपना रौब जमा कर उसे प्रताड़ित करने का कार्य बखूबी किए जाने पर कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ अभी तक इस पर ध्यान देने की जिम्मेदारों को समय ही नहीं मिल पा रहा है। ऐसे कार्यशैली पर सवालिया खड़ा होना लाजमी है??????
लॉक डाउन का उठा रहे हैं भरपूर लाभ
इन दिनों कोविड-19 के महामारी से संपूर्ण देश जूझ रहा है इसी स्तर पर जिला अनूपपुर के लोकप्रिय कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने भी समाज को सुरक्षित रखने और बचाने में अपनी पहल दर्शाई है परंतु लॉक डाउन कब यहां तो उल्टा ही मतलब निकाला जा रहा है यहां तो लॉकडाउन के बहाने भ्रष्टाचार की बारात लिखनी शुरू की गई तो उस पर महारत हासिल करने के विशाल विचार के साथ पंचायत ताबड़तोड़ नियमों की धज्जियां उड़ा कर और न्यायालय एवं तहसील के फैसले को चुनौती देते हुए शासकीय अधिकारियों को अपनी जेब में रखकर सांठगांठ के साथ अपना रुतबा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
नही सुन रहा है कोई जिम्मेदार
पीड़ित किसान के परेशानियों को देखकर जब इस भ्रष्टाचार और तानाशाही के ऊपर जिम्मेदारों को ध्यान केंद्रित कर आने के लिए बताया गया तो ना ही थाना प्रभारी, नाही तहसील के अमले, नाही पटवारी, नाहीराजस्व निरीशक (कानूनगो), नाही जनपद पंचायत के अधिकारी, नाही जनपद के अमले, ना ही कोई भी जिम्मेदार यहां पीड़ित की मदद के लिए आने को तैयार है बल्कि अपना अपना पड़ रहा झाड़ते हुए एक दूसरे के ऊपर बातें डाल कर काम को ज्यों त्यों होने दिए जाने की फिराक में है। इन सब बातों पर नागरिकों और पीड़ित किसान का कहना है कि अवश्य कहीं ना कहीं प्रशासन के अधिकारी और कार्यवाहक व जिम्मेदार अपनी अपनी जेबें गर्म करने में और सांठगांठ कर पंचायत के फेवर में कार्य कर रही है। यदि न्यायालय और प्रशासन की स्टे आर्डर को कोई नहीं मानता है तो फिर अब अंतिम रास्ता क्या बचा हुआ है लॉकडाउन के आड़ में लूट की ओर जिस तरह से मची हुई है वह देखना दिलचस्प है और इस दरमियान कोर्ट के न खुलने के कारण आने रास्ता ही नहीं बचा हुआ है। कोई सुनने को तैयार नहीं तो कोई फोन उठाने को तैयार नहीं यह क्या दादागिरी है क्या चल रहा है ईश्वर ही जाने।
मंत्री जी जरा इधर भी ध्यान दें
जिले के प्रतिनिधि और जिम्मेदार अपने आप को मंत्री समझकर और भाजपा सरकार के होने का रौब झाड़ते हुए अत्याचार और भ्रष्टाचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों और पंचायत के समर्थन में जिस तरह से पार्टियों का समर्थन और सपोर्ट बनता देखा जा रहा है इस पर मंत्री जी के कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े होकर रह जाते हैं कि आखिर में कितने मंत्री जिले में हैं और जनता प्रतिनिधि और जिम्मेदार चुनती है तो क्या वह भ्रष्टाचारियों के समर्थन के लिए होते हैं या गरीबों को न्याय दिलाने के लिए इस पर बहुत बड़ी बातें प्रश्न चीन के रूप में खड़े होकर सामने उभर रहे हैं। जहां तक बातें सामने उभर के आ रही है कि मंत्री जी का भी संपूर्ण सपोर्ट इन पर बना हुआ है मंत्री जी के आशीर्वाद स्वरुप उनके नाम पर समस्त भ्रष्टाचारी पीड़ित किसान को दर-दर ठोकर खाने पर मजबूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
आखिर कब तक चलेगी तानाशाही
नीचे से ऊपर तक सांठगांठ और तालमेल के साथ संपूर्ण जिले में जिस तरह से भ्रष्टाचार अपने चरम पर है उसको देखना दिलचस्प बनता है कि आखिर कब तक ऐसे ही शोषण और अत्याचार होते रहेंगे। सवालिया निशान खड़े होकर रह जाते हैं कि भारत देश का चौथा स्तंभ जब इन जिम्मेदारों को भ्रष्टाचार को उजागर कर उनके संज्ञान में बातें लाने की कोशिश करता है तो इस और इनका ध्यान क्यों नहीं जाता यदि ऐसे चलता रहा तो बहुत ही जल्द आम नागरिकों कर रोज और पीड़ितों का आंदोलन जिम्मेदारों को देखने को मिल सकता है और यदि ऐसा होता है तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी किसके ऊपर होनी चाहिए आखिर कौन है जिसके कारण विवश हो रहा है पीड़ित किसान और और आम आदमी।
बनाया जा रहा है दबाव
जब भ्रष्टाचारियों और संदीप अधिकारियों का पोल खोलता नजर आ रहा है तो संपूर्ण तरीके से दबाव बनाकर कभी पीड़ित परिवार को तो कभी आम आदमी को तो कभी मीडिया कर्मी को रोकने की कोशिश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। दूसरी ओर सवाल यह उठता है कि अभी तक उच्च न्यायालय जबलपुर के फैसले और वहीं दूसरी आई एम बात सामने उभर कर आ रही है कि न्यायालय तहसीलदार तहसील जैतहरी के स्थगन आदेश को ना मानते हुए उसकी अवहेलना कर कानूनन अपराध करने वाले पंचायत के भ्रष्टाचारियों पर कोई लगाम क्यों नहीं लगाई जा रही है आखिर जनता जाए तो जाए कहां और गुहार लगाए तो लगाए कहां जो जिम्मेदार समाज की रक्षा करने वाले ठेकेदार बैठे हुए हैं वही ऐसा करेंगे तो क्या होगा।