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*इस सरकारी अफसर महिला ने कठिन परिश्रम को बताया सफलता स्कूल से लेकर पीएससी तक अगर जीवन में कुछ जीवन में बनना है तो प्रशासनिक महिला अफसर से सीख लीजिए*

कोरिया जिला छत्तीसगढ़

कठिन परिश्रम को बताया सफलता का श्रेय स्कूल से लेकर पीएससी तक का सफ़र रहा अव्व्वल रहा

महिला दिवस विशेष

छतीसगढ कोरिया मनेंद्रगढ़ जीवन में अब्बा लाना है तो इस महिला प्रशासनिक अफसर सीख लीजिए इनका सफर हाई स्कूल से लेकर पीएससी तक अब बोल रहा है ! हाईस्कूल की परीक्षा और हायर सेकेंडरी की परीक्षा में स्कूल में प्रथम। कालेज की ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की परीक्षा में कालेज में प्रथम। महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी की परीक्षा में प्रदेश में प्रथम। शिक्षाकर्मी वर्ग 1 और वर्ग 2 की परीक्षा में सरगुजा जोन में प्रथम। पीएससी की परीक्षा में पूरे प्रदेश में 28 वी रैंक और महिला कैटेगरी में प्रदेश के दूसरा स्थान। यह स्कोर कार्ड है डिप्टी कलेक्टर नयनतारा सिंह तोमर का। वर्तमान में मनेन्द्रगढ़ में एसडीएम के पद पर रहकर ये महिला अफसर अपने काम का लोहा मनवा रही है।

महिला दिवस पर संघर्ष से शिखर तक का सफर आपने अब तक पढ़ा होगा। आज महिला दिवस पर आपको ऐसी महिला से मिलवा रहा है जिनसे नारी शक्ति को अव्वल आने की सीख मिलती है।

हर इम्तिहान में अव्वल आने की सीख इस महिला अफसर से मिलती है। स्कूली इम्तिहान हो या कॉलेज का इम्तिहान या फिर प्रतियोगी परीक्षाओं का इम्तिहान अव्व्वल आने की चाह ने आज इस महिला को अफसर बना दिया।

बच्चों के पालन पोषण के साथ सेल्फ स्टडी से पाया मुकाम
नयनतारा सिंह तोमर को सरकारी नौकरी कालेज पास करने के बाद ही मिल गयी थी। 2008 में आयोजित हुई महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी की परीक्षा में प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त करने के बाद वह सरगुजा में परियोजना अधिकारी के पद पर कार्यरत हो गयी। फिर 2008 में आयोजित हुई 2009 में आयोजित हुई शिक्षाकर्मी की परीक्षा में सरगुजा जोन में प्रथम आने के बाद उन्होंने शिक्षक की नौकरी सरगुजा के लटेरी में की। इस बीच उन्होंने पीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और इस बीच नयनतारा को एक बेटी भी हुई।

बेटी के पालन पोषण की जिम्मेदारी और पीएससी परीक्षा की तैयारी ऐसे में नयनतारा ने कोचिंग न जॉइन करते हुए सेल्फ स्टडी के सहारे पीएससी परीक्षा की तैयारी की और बेहतर परिणाम न आने पर उन्हें नायाब तहसीलदार का पद मिला फिर भी डिप्टी कलेक्टर बनने की चाह में उन्होंने 2013 में फिर से पीएससी परीक्षा की तैयारी कोचिंग में न करते हुए सेल्फ स्टडी से प्रदेश में 28 वा और महिला कैटेगरी में प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त कर डिप्टी कलेक्टर बन गयी।

खुद नही दे पाई आईएएस, बच्चों को बनाउंगी आईएएस

डिप्टी कलेक्टर नयनतारा तोमर का कहना है कि भले ही वो खुद आईएएस नही बन पाई लेकिन उनका सपना है कि वो अपने दोनों बच्चों में से किसी एक बच्चे को आईएएस बनाएंगी। नयनतारा सिंह तोमर एक बेहतर गृहणी के साथ ही अपनी ड्यूटी बेहतर तरीके से निभा रही है। उनका कहना है कि अगर आप यह संकल्प ले ली कि मुझे हमेशा अव्व्वल आना है और निराशा को आशा में बदलकर लक्ष्य प्राप्ति की ओर आगे बढ़े तो आपको निश्चित ही अव्व्वल दर्जे की सफलता मिलेगी।

छत्तीसगढ़ कोरिया जिला से ब्यूरो चीफ नागेंद्र दुबे की रिपोर्ट

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