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अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए बनी वरदान बड़वारा में एक जिला एक औषधीय पौधा प्रशिक्षण कार्यक्रम

कटनी जिला मध्य प्रदेश

अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए बनी वरदान बड़वारा में एक जिला एक औषधीय पौधा प्रशिक्षण कार्यक्रम

(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)

मध्य प्रदेश जिला कटनी में आयुष विभाग, जिला कटनी द्वारा देवारण्य योजना अंतर्गत “एक जिला एक औषधीय पौधा कार्यक्रम के तहत बड़वारा विकासखंड में कृषक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन मानव जीवन विकास समिति, बिजौरी में किया गया। यह प्रशिक्षण किसानों को औषधीय पौधे अश्वगंधा की वैज्ञानिक खेती के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से किया गया।

कार्यक्रम में निर्भय सिंह (सचिव, मानव जीवन विकास समिति) ने बताया कि अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो रही है।

हाल ही में ढीमरखेड़ा ब्लॉक के 100 किसानों ने अश्वगंधा की खेती कर अच्छी आमदनी अर्जित की है।

डॉ. प्रशांत दुबे (आयुष विभाग) ने अश्वगंधा के औषधीय गुणों की जानकारी देते हुए बताया कि यह पौधा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, ऊर्जा व स्मरण शक्ति सुधारने, हृदय स्वास्थ्य, नींद संबंधी विकार और तनाव नियंत्रण में अत्यंत उपयोगी है।

मास्टर ट्रेनर चंद्रपाल कुशवाहा ने बताया कि अश्वगंधा की पहचान उसके पौधे की गंध से होती है, जिसमें घोड़े के मूत्र जैसी तीव्र गंध आती है।

खेती से प्राप्त अश्वगंधा की गुणवत्ता जंगल में मिलने वाले पौधों की तुलना में बेहतर होती है।

प्रशिक्षण में किसानों को दी गई महत्वपूर्ण जानकारियाँ:

जलवायु व मिट्टी: अश्वगंधा शुष्क व गर्म जलवायु में, रेतीली दोमट या हल्की लाल मिट्टी में बेहतर उगता है।

प्रजातियाँ: पोषिता, जवाहर अश्वगंधा-20, जवाहर अश्वगंधा-134

बुवाई समय जून के अंत से जुलाई की शुरुआत या रबी सीजन में अक्टूबर
कटाई 150-170 दिनों बाद जब पौधे पीले और फलियां सूख जाएं

(सावधानियाँ)

जल प्रबंधन, निराई-गुड़ाई, रोग-कीट नियंत्रण और फसल की सावधानीपूर्वक कटाई

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. प्रशांत दुबे शीतल झारिया सुभद्रा देवी (आयुष विभाग), निर्भय सिंह चंद्रपाल कुशवाहा, एफपीओ सदस्य, स्व-सहायता समूह, समिति कार्यकर्ता रामकिशोर चौधरी समेत 60 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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