किसान ने शातिर दिमाग लगाकर ऐसा कृषि उत्पादन कि लोग देखकर रह गए हैरान
जिला जबलपुर मध्य प्रदेश

किसान ने शातिर दिमाग लगाकर ऐसा कृषि उत्पादन कि लोग देखकर रह गए हैरान
(पढिए राजधानी एक्सप्रेस न्यूज़ हलचल आज की सच्ची खबरें)
होने लगी अश्वगंधा की खेती
पाटन के ग्राम महगवां सड़क के किसान रामकृष्ण ने एक एकड़ में लगाई अश्वगंधा
मध्य प्रदेश जबलपुर जिले में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को फसल विविधीकरण एवं नवाचार के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है।
इसके फलस्वरुप किसान न केवल प्राकृतिक और जैविक कृषि को अपनाने आगे आ रहे हैं
बल्कि वे पारम्परिक की अपेक्षा ऐसी किस्मों की फसल भी ले रहे हैं जिनसे उन्हें अच्छा लाभ अर्जित हो सके।
इसी क्रम में जिले की पाटन तहसील के ग्राम महगवां सड़क के प्रगतिशील कृषक रामकृष्ण लोधी ने कम लागत में अधिक मुनाफ़ा देने वाली अश्वगंधा की फसल लेने की शुरुआत की है।
किसान रामकृष्ण लोधी द्वारा ली जा रही अश्वगन्धा की फसल का गत दिवस कृषि अधिकारियों ने आसपास के किसानों के साथ उसके खेत पहुँचकर अवलोकन किया।
इन अधिकारियों में अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पंकज श्रीवास्तव, क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी हरीश बर्वे शामिल थे।
कृषक रामकृष्ण लोधी ने बताया कि उसने अपने अनुज घनश्याम के साथ मिलकर पहली बार एक एकड़ क्षेत्र में अश्वगंधा की बोनी की है।
कृषक ने बताया कि दो साल पहले पाटन विकासखंड के ग्राम भरतरी निवासी किसान पुखराज पटेल द्वारा अपने खेत में अश्वगंधा की खेती की गई थी, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा प्राप्त हुआ था।
किसान पुखराज पटेल से प्रेरणा लेकर ही वे इस बार एक एकड़ में अश्वगंधा की खेती कर रहे हैं
अश्वगंधा का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए वे इंटरनेट का सहयोग भी ले रहे हैं।
कृषि अधिकारियों द्वारा भी समय-समय पर उन्हें मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है।
किसान रामकृष्ण लोधी ने बताया कि अश्वगन्धा की बोनी करने के लिए वह नीमच से 5 किलो प्रति एकड़ की दर से बीज लेकर आये थे।
सात सौ रुपये प्रति किलो की दर से मिले इस बीज की उन्होंने वर्षा ऋतु के बाद सितंबर माह के आखिर में छिटकवां विधि से बोनी की थी।
अश्वगंधा की फसल लेने से पहले उन्होंने मक्का की खेती की थी।
किसानों को वर्षा ऋतु के समय अश्वगंधा की खेती सावधानीपूर्वक करने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि अश्वगंधा के बीच्ज की बोवनी से पहले किसानों को खेत में वर्षा जल की निकासी की समुचित व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
क्योंकि वर्षा का जल भरने से अश्वगंधा की फसल को नुकसान हो सकता है।
कृषक ने बताया कि अश्वगंधा की बोवनी के समय उन्होंने एक बार पानी दिया था, इसके सात दिनों बाद दूसरी बार तथा तीस-तीस दिन के अंतर पर तीसरी एवं चौथी बार पानी दिया गया है।
किसान रामकृष्ण लोधी ने बताया कि अश्वगंधा की खेती काफी कम लागत में की जा सकती है।
इसमें न तो कीटनाशकों के छिड़काव की आवश्यकता होती है और न ही इसे पालतू पशुओं द्वारा किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
कृषक श्री लोधी के मुताबिक अश्वगन्धा की खेती करने पर एक एकड़ खेत में लगभग सात क्विंटल गीली जड़ प्राप्त होती है।
ये जड़ें सूखने के बाद आधे वजन की यानी लगभग चार क्विंटल ही रह जाती हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में अश्वगंधा की जड़ लगभग 25 से 30 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से बिकती है
वहीं एक एकड़ में लगभग 30 से 35 किलोग्राम बीज का भी उत्पादन होता है जो बाजार में लगभग 500 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है।
बीज बनाते समय जो भूसा तैयार होता है, बाजार में किसान को उसकी 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से कीमत प्राप्त होती है।
किसान श्री लोधी के मुताबिक अश्वगंधा का नीमच में अच्छा बाजार उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि नीमच मंडी जाकर वे इसका जायजा भी ले चुके हैं।
अश्वगन्धा के ट्रांसपोर्ट एवं दैनिक मजदूरी में लगने वाली लागत के बाद भी अश्वगंधा की खेती से लगभग 80 से 85 हजार रुपये प्रति एकड़ का लाभ अर्जित किया जा सकता है।