Breaking Newsअन्य राज्यआगराइंदौरइलाहाबादउज्जैनउत्तराखण्डगोरखपुरग्राम पंचायत बाबूपुरग्वालियरछत्तीसगढ़जबलपुरजम्मू कश्मीरझारखण्डझाँसीदेशनई दिल्लीपंजाबफिरोजाबादफैजाबादबिहारभोपालमथुरामध्यप्रदेशमहाराष्ट्रमेरठमैनपुरीयुवाराजस्थानराज्यरामपुररीवालखनऊविदिशासतनासागरहरियाणाहिमाचल प्रदेशहोम

श्रम रोजगार मंत्रालय ने प्रवासी श्रमिकों के लिए मानक मजदूरी दर किया नियमित

भारत सरकार नई दिल्ली

श्रम रोजगार मंत्रालय ने प्रवासी श्रमिकों के लिए मानक मजदूरी दर किया नियमित

 

 

 

(पढिए राजधानी एक्सप्रेस न्यूज़ हलचल आज की सच्ची खबरें)

 

 

प्रविष्टि तिथि: 08 FEB 2024 

 

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के प्रवधानों के अनुसार, केन्द्र और राज्य सरकारें दोनों ही अपने संबंधित क्षेत्राधिकारों के अंतर्गत रहने वाले प्रवासी श्रमिकों सहित अनुसूचित नियोजनों में नियोजित कर्मचारियों की न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण, समीक्षा और संशोधन करने वाली उपयुक्त सरकारें हैं।

 

 अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979 की धारा 13 के अंतर्गत, अंतर-राज्य प्रवासी कामगारों को किसी भी स्थिति में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (41) के अंतर्गत निर्धारित मजदूरी से कम भुगतान नहीं किया जाएगा।

 

भारत सरकार ने देश के नागरिकों के मानवाधिकार उल्लंघनों और अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों सहित अन्य के अत्याचारों को संबोधित करने के लिए निम्नलिखित अधिनियम/नियम बनाए हैं,

 

 जिनमें संविदा श्रम (विनियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम, 1970, अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979, भवन और अन्य सनिर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996, असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948, बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976, कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और भारतीय दंड संहिता, 1860 शामिल हैं।

 

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 27 जुलाई, 2020 को सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड महामारी से सुरक्षा के लिए और गंतव्य राज्यों में अपने कार्यस्थलों पर वापस लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किया।

 

 

 इसमें राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया कि वे श्रमिकों के प्रवास को सुव्यवस्थित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाएं और अपने श्रम कानून प्रवर्तन तंत्र को जल्द-से जल्द लागू करके के लिए दिशा-निर्देशों जारी करें, सभी हितधारकों द्वारा वैधानिक अनुपालन सुनिश्चित करें जिससे प्रवासी श्रमिकों को वित्तीय संकट से निपटने और महामारी के दौरान सशक्त बनने में बहुत आवश्यक सहायता प्रदान करेगा।

 

इसके अलावा, लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों सहित अन्य श्रमिकों की शिकायतों का समाधान करने के लिए, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने पूरे देश में 20 नियंत्रण कक्ष स्थापित किया।

 

 लॉकडाउन के दौरान, इन कंट्रोल रूम के माध्यम से श्रमिकों की 15,000 से ज्यादा शिकायतों का समाधान किया गया और 1.86 लाख श्रमिकों को लगभग 295 करोड़ रुपये की बकाया मजदूरी का भुगतान करवाया गया।

 

कोविड-19 की पहली लहर में, राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश बीओसीडब्ल्यू कल्याण बोर्डों ने लॉकडाउन में बीओसी प्रवासी श्रमिकों सहित 1.83 करोड़ बीओसीडब्ल्यू श्रमिकों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से कुल मिलाकर 5,618 करोड़ रुपये से ज्यादा हस्तानांतरित किया और उसके बाद, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने उपकर निधि के माध्यम से लगभग 30 लाख श्रमिकों को खाद्य राहत पैकेज भी प्रदान किया।

 

 इसके अलावा, कोविड-19 की दूसरी लहर में, बीओसी प्रवासी श्रमिकों सहित 1.23 करोड़ बीओसीडब्ल्यू श्रमिकों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से 1,795 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए।

 

यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

Related Articles

Back to top button