मध्य प्रदेश की सरकार स्वास्थ्य/शिक्षा का रखें ख्याल गरीबों के बच्चों को करें खुशहाल/क्योंकि राज्य में हो रहा खुलेआम व्यापार
भोपाल जिला मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश की सरकार स्वास्थ्य/शिक्षा का रखें ख्याल गरीबों के बच्चों को करें खुशहाल/क्योंकि राज्य में हो रहा खुलेआम व्यापार
(समझदार को इशारा ही काफी है मुर्खो के लिए तमाचा भी कम है)
(आईए जानते हैं क्या है सच)
मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य एवं शिक्षा का चल रहा खुलेआम भ्रष्टाचार और व्यापार
(शिक्षा का सच)
(1) मध्य प्रदेश शासन की लाखों रुपए सैलरी लेने वाला प्रधाना अध्यापक एवं टीचर स्वयं अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में शिक्षा दिला रहा है क्योंकि खुद की शिक्षा में उसको भरोसा नहीं
(स्वास्थ्य विभाग)
(2) मध्य प्रदेश शासन की तनख्वाह लेने वाले स्वास्थ्य विभाग के (B.M.O) एवं डॉक्टर स्वयं पर्सनल ऑफिस के नाम पर क्लीनिक चला रहे हैं और गरीब जनता से फीस के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं
शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए जो तनख्वाह पाते हैं वहां पर मरीजों की हालत गंभीर रूप से रहती है लेकिन छोटे-मोटे डॉक्टर ही जाकर उन मरीजों की इलाज करते हैं
(राजनीतिक नेताओं का सच)
मध्य प्रदेश राज्य के कोने-कोने पर गरीब जनता क्यों जाकर झूठे भाषण एवं झूठे आश्वासन देकर वही गरीब जनता से ताली पिटवाने का काम करते हैं
जबकि ताली हमेशा खाली रहती है और हाथ उठाने वाले के हमेशा हाथ भर जाते हैं विकास के नाम पर खुलेआम भ्रष्टाचार
मध्य प्रदेश शासन योजनाएं गरीबों के लिए लेकर आती है लेकिन पैसे वालों को योजनाओं का लाभ मिलता है या फिर राजनीति नेताओं के करीब लोगों को
पार्टी कोई भी हो हमेशा गरीबी का मुद्दा उठाकर गरीबों से वोट लेकर सरकार बनने के बाद उन्ही गरीब हितग्राहियों को लाभ मिलता है जो राजनीतिक नेताओं के करीब होते हैं या फिर जो नेताओं के अर्जेंट बने रहते वही पैसा लेकर लाभ दिलवाने का काम करते हैं
आज की दुनिया में सब अपने पर ही बिजी है कोई किसी का नहीं होता है साहब
हमारी सरकार उनकी मदद ज्यादा करती है जो सरकारी दफ्तर के अधिकारी होते उनकी तनख्वाह बढ़ा-बढ़ा कर गरीब जनता से ताली पिटवाती है और झूठे आश्वासन देती है लेकिन जो बेरोजगार बैठा हुआ है उसके लिए कोई रोजगार नहीं मिलता
नेता अपने-आप को समाज का सेवा करने की बात कहेगा और पार्टी का झंडा पड़कर चुनाव लड़ेगा और चुनाव जीतने के बाद
वही नेता जो अपने आप को समाजसेवी के नाम पर भला करने की बात करता है स्वयं (जाति-धर्म) के नाम पर लोगों को लड़ाकर अपनी सियासत की रोटी सेंक लेता है और दूसरे समाज को ऐसा देखता है जैसे की जंगल से शहर में शेर उतर कर आया हो तिरछी नजर से
(यही है नेताओं का सच)
यदि नेता विकास के नाम पर भ्रष्टाचार करना बंद कर दें और (शिक्षा-स्वास्थ्य) पर ध्यान दे दे तो किसी नेता को वोट मांगने के लिए जनता के सामने हाथ फैलाने का काम नहीं करना पड़ेगा




