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कटनी जिले के अंतर्गत श्मशान घाट पर दबंगों का कब्जा

कटनी जिला मध्य प्रदेश

कटनी जिले के अंतर्गत श्मशान घाट पर दबंगों का कब्जा

(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)

रवि पावक सुर सरि के नाई। समरथ को नही दोस गुसाईं।

मध्य प्रदेश जिला कटनी जिले में कुछ ऐसा हीं नज़ारा देखने को मिल रहा है जहां मुर्दों को दफ़नाने और जलाने के लिए सरकारी ज़मीन पर कब्जा जायज है, और जिन्दा लोगों के मकान ढहाए जा रहे हैं। जी हाँ ये तस्वीरें आपको झकझोर कर रख देंगी, लेकिन यही सच है और यही हकीकत भी है।

पहली तस्वीर को देखिए ये तस्वीर कटनी जिले की महापौर प्रीति संजीव सूरी के कब्जे वाले सरकारी जमीन की है, जहां ये महापौर बनने से पहले हीं भाजपा की सदस्यता के दम पर कब्जा किए बैठी हैं। लेकिन इनके अलावा कोई और शासकीय भूमि का मालिक बने ये इन्हें मंजूर नही है। यही वजह है कि इनके नगर निगम से ऐसा फ़रमान जारी हुआ जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया ।

मामला माधवनगर के अमीर गंज ईलाके का है, जहाँ एक मूक बधिर यानि पूर्ण विकलांग महिला ने किसी तरह अपना घरौंदा बनाया था। उसके पास ज़मीन नही थी, लिहाजा उसने एक सरकारी ज़मीन पर अपना आशियाना सजा लिया, बस इतनी सी बात महापौर जी और इनके नगर निगम को बर्दास्त नही हुई और जो इन्होंने ऐसा फ़रमान जारी किया जिसने मानवता को पूरी तरह तार – तार कर दिया

एक गूंगी बहरी महिला जो कुछ भी ना बता सकती थी, ना हीं उस्की भावनाओं को समझने वाला कोई था, बस वह चीखती चिल्लाती रही, और उसकी नजरों के समने हीं उसका आशियाना ध्वस्त हो गया। मसूम बच्चे गुहार लगाते रहे लेकिन उनकी करुणा को महसूस करने वाला भी कोई नही था। जो कुछ हुआ उसे श्ब्दों में बयान करना नाममुकिन है। बस इतना हीं कि एक मूक बधिर महिला जिन्हें प्रधानमंत्री जी ने दिव्यांग कहा है। इस कार्यवाही में उनका कोई भी अंग दिव्य नही था, और कुछ था तो लाचारी और बेचारी के आलावा कुछ भी नही।

सबसे मजे की बात तो ये कि नगर निगम ठंड के मद्देनज़र आजकल लकड़ियां बंटवा रहा है, ताकि ठंड से किसी को परेशानी ना हो। उस नगर निगम ने एक मूक बधिर का आशियाना उस वक्त उजाड़ा है, जब ठंड पूरे शबाब पर है। यह कैसी दरिया दिली है? ऐसे में महापौर और कमिश्नर की कार्यशैली समझ से परे है।

शसकीय जमीन पर तो नीलांजली सेवा समिति का भी कब्जा है, जो सिर्फ़ मुर्दों के लिए सेवा करती है। तो ऐसे में जिन्दा लोंगों की चिंता भी तो जरूरी है। ऑटो इक्शा रोक कर बच्चों को टॉफ़ी खिलाने वाले कलेक्टर साहब उन बच्चों के भी हाल और हालात पर नज़र डालिए जिनका दो वक्त का खाना भी आपके नगर निगम की मेहरबानी से ज़मीदोज हो गया। मैं तो बेहद श.

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