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*मामा के राज्य में सुरक्षित नहीं है भांजिया, बेटी के तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहा है मजबूर पिता*

शहडोल जिला मध्यप्रदेश

*मामा के राज्य में सुरक्षित नहीं है भांजिया, बेटी के तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहा है मजबूर पिता*

बेटी की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहा है मजबूर पिता
पुलिस विभाग के अमला नहीं कर पा रहे हैं गुमशुदा लड़की कि तलाश

शहडोल / मध्य प्रदेश हेड के साथ (संभागीय ब्यूरो चीफ) चंद्रभान सिंह राठौर की ग्राउंड रिपोर्ट

शहडोल/मामा के राज्य में भांजियों कि सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा होता दिख रहा है, बता दें कि आए दिन लड़कियों के गुमशुदा होने और उनके साथ घटनाओं का होना आम बात सी हो गई है। प्रतिदिन किसी न किसी तरह से लड़कियों पर हो रहे शोषण और अपराध के किस्से सुन्ना आम बात सी हो गई है। या यूं कहा जाय कि मामा कि भांजियां उनके होते हुए भी असुरक्षित हो गई हैं। या उनको भहकाकर, फुसलाकर उनके साथ घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।

सूत्र बताते हैं कि पुलिस हमेशा से ही बदनामी के शाए में अपनी वाहवाही बटोरते हुए थकते नहीं हैं,पुलिस के अधिकारी लाख वादे कर ले कसम खा ले पर उनकी छवि कभी नहीं सुधर सकती है और न सुधर सकेगी क्योंकि पुलिस विभाग में कभी – कभार कोई पुलिस अधिकारी आता है जो जिम्मेदारी निभाता है पर बाकि तो गाना गाते हैं कि हमारे पास खाखी और सरकारी नौकरी है, काम करेंगे जब मन करेगा नहीं तो हमारा क्या बिगड़ेगा, जो बिगड़ेगा लोगों का बिगड़ेगा, हम तो आराम से काम करेगें,चाहे कोई मरे या जिए,क्या फर्क पड़ता है,साहेब हमें आदत सी है,आज इन‌ कारगुज़ारियों के बीच में फंसे हैं एक पिता अश्विनी सिंह जो अपने बेटी को एक अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते थे,एक अच्छी जिंदगी दिलाना चाहते थे,इसी उद्देश्य से एक पिता ने अपनी बेटी काजल जिसकी उम्र लगभग 18 वर्ष 1 महीने हो चुकी है को शहडोल शासकीय डिग्री कालेज में प्रवेश दिलवाया,पर बच्ची शहडोल से गायब हो चुकी है इसके पीछे कारण क्या है या क्या वजह है,सही कारण किसी को ज्ञात नहीं है, फरियादी के आवेदन के बाद शहडोल कोतवाली पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है,पर अभी तक पुलिस हाथ में हाथ धर कर बैठी हुई है,

पुलिस द्वारा गुमशुदगी का मामला 19 नवम्बर 2022 को दर्ज किया गया था पर अभी तक किसी तरह के सुराग जुटाने में या लड़की के बारे में जानकारी दे पाने में पुलिस विभाग के अमला नाकाम हो गए हैं। फरियादी का कहना है कि पुलिस विभाग के अमला द्वारा मेरी बेटी को ढूंढने तक नहीं जाया जा रहा है बात सही भी है क्योंकि लगभग 22 दिन गुजर गए हैं, पर पुलिस विभाग काजल को तलाश करने की जगह उसके पिता को बालिक और नाबालिग नियम एवं इधर – उधर की कहानी बता कर परेशान कर रही है,पुलिस विभाग हमेशा से ही कहानी बनाने के लिए मशहूर है और बहाने बाजी में उनको उपाधि भी मिली हो जैसे कार्य करती है बल्कि काम करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है,अब पिता परेशान है कि बेटी आ जाए,पिता ने 181 में भी शिकायत दर्ज करवाई है,इस पर भी पुलिस विभाग को आपत्ति हो गई है,लड़की को ढूंढने की जगह 181 में हुई शिकायत को कटवाने के लिए पुलिस पिता को शहडोल बुलवा रही है पर काजल को ढूंढने के लिए शहडोल से कहीं निकल नहीं रही है,फिल्मों की तरह पुलिस कार्यवाही कर रही है अर्थात कुर्सी तोड़ रही है, क्या पुलिस हमेशा से ही बदनाम रही है या रहेगी क्या सरकार इनके डायलर टोन पर एक स्लोगन चलवाती है,देश भक्ति जन‌ सेवा,यह सब झूठ हो जायेगी,सोचा जाये तो पुलिस ने हमेशा से जनता को परेशान किया है,पर सच यही है

,कभी अगर पुलिस की बात कर लो तो लोग दस गाली देते हैं,कभी भी पुलिस के लिए कोई सम्मान नही देता है कारण है पुलिस महकमे का भ्रष्टाचारी और आतंकी चेहरा,क्या कुछ पुलिस वालों की वजह से सारे पुलिस महकमा बदनाम होगा या फिर पुलिस विभाग कि बदनाम छवि को कोई नहीं सुधार सकता है।

कहां है,मुस्कान योजना

मुस्कान योजना के तहत पुलिस ने कितने ही लाड़लियों को दूर – दूर से तलाश‌ करके उनके माता – पिता को सौंप चुकी है,पर काजल को सौंपने कि बात पर सांप – सूंघने वाली बात का जिक्र होना और पुलिस कि लापरवाह सिस्टम और कमीशन के मैनेजमेंट फंडे का पोल खुलना साफ – साफ पुलिस कि गैर जिम्मेदार रवैया कि तस्वीरें उजागर करती हुई नजर आ रही है,बीजेपी सरकार की मुस्कान योजना फेल नजर आ रही है,

क्या कहती है शहडोल पुलिस –

सिर्फ बरगलाने वाली बात देख रहे हैं,कोशिश कर रहे हैं,बहुत पेंडिंग काम है,

सोचने वाली बात है कि नाकारा सिस्टम के निकम्मे लोग जो जनता के टैक्स के रूपयों से अपनी जेबों को भरने और आराम से घोड़े बेचकर सोने का काम करते हैं,

पिता का क्या कहना है –

पिता अश्विनी सिंह जो कि कोतमा निवासी पड़ौर ग्राम पंचायत कृषक है,जो कि काजल के पिता हैं और बेटी के लापता होने से काफी परेशान हैं,मीडिया के सामने अपनी व्यथा को लेकर रोने लगे,काजल के पिता अश्विनी सिंह अनूपपुर जिले के निवासी हैं,पिता कि कोई नहीं सुन रहा है,काजल के पिता अश्विनी सिंह अनूपपुर कलेक्टर कार्यालय के बाहर घूम रहे थे,तब उन्हें मीडिया कि याद आई कि अब मीडिया ही उनकी मदद कर सकता है,

तब उन्होंने मीडिया से भी बात कि और अनूपपुर नवागत पुलिस अधीक्षक के पास भी आवेदन दिया है पर वो भी हां कहकर आवेदन ले लिए पर अभी तक कोई भी संदेश प्राप्त नहीं हुआ है बेटी का कि बेटी काजल कहा है।

जनता का सवाल सरकार और प्रशासन‌ से

कब मिलेगा न्याय और कब होगा आपके किए हुए वादे पूरे,एक झूठ बोलकर सत्ता में आता है तो दूसरा सत्ता में आने के लिए झूठे कसमें खाता है,पर जनता आज भी अपने मौलिक अधिकारों के लिए बेबस खड़ी हुई है या दूसरे शब्दों में कहा जाए कि बरसात के समय जिस प्रकार कुकुरमुत्ते उगते हैं,और फिर पता नहीं चलता है ठीक उसी तरह राजनैतिक दल का भी हाल हो चुका है,क्या जनता हमेशा से छली जायेगी या फिर जनता इन सबके लिए दोषी खुद।

बहरहाल देखना दिलचस्प होगा कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग के अमले द्वारा एक पिता को संतुष्ट कर पाने या उसकी बेटी को ढूंढ़ पाने में कब तक समय लगाएगी या कब तक में तलाश कर पाएगी। देखना दिलचस्प होगा।

पुलिस विभाग में पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के भ्रष्टाचारी और मुफ्त कि रोटी खाने वाले, चंद रुपयों में ईमान बेचने वाले लोगों की वजह से ही सारा डिपार्टमेंट बदनाम होते हैं इनपर लगाम न लगा पाने और जनता को न्याय न दिला पाने में पुलिस महकमा नाकाम प्रश्नचिन्ह उठना लाजमी है।

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