*एसईसीएल के जमुना कोतमा क्षेत्र के आमा डांड खुली खदान बंदी के कगार पर क्यों – हरिद्वार सिंह*
अनुपपुर जिला मध्यप्रदेश

एसईसीएल के जमुना कोतमा क्षेत्र के आमा डांड खुली खदान बंदी के कगार पर क्यों – हरिद्वार सिंह
रिपोर्टर – (संभागीय ब्यूरो चीफ) चंद्रभान सिंह राठौर
जमुना कोतमा क्षेत्र की जान आमडंडा ओसीएम अपने जन्म के प्रारंभ से ही विवादों में रहा है आसपास के भोले भाले ग्रामीणों को गुमराह करके अपना हित साधने वाले बिचौलियों की कभी कमी क्षेत्र में नहीं रही है ग्रामीणों के बारे में गंभीरता से किसी ने नहीं सोचा स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने न विधायकों ने न सरकारी नुमाइंदों ने हद तो तब हो गया जब प्रशासन भी उस खदान की महत्व को ,राष्ट्रीय विकास की गंभीरता को नजरअंदाज करता रहा प्रारंभ में ग्रामीणों ने आंदोलन प्रारंभ किया तो छोटी बात थी प्रशासनिक बीच-बचाव से मामला सुलझ सकता था किंतु जिला प्रशासन ने कभी भी राष्ट्रीय संपत्ति के दोहन को महत्व नहीं दिया नही तड़पते ग्रामीणों के जरूरत को।
क्या होगा जब खदान बंद होगा ,सैकड़ों मजदूरों का। दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरण होगा हजारों लोग जो छोटे-मोटे रोजी रोजगार में लगे हैं उनका क्या होगा कोयला प्रबंधन उन्हीं को रोजगार देता है जिसको कलेक्टर अथवा एसडीएम पात्र घोषित कर देते हैं क्या जिला प्रशासन को इतनी फुर्सत नहीं है कि कोयला प्रबंधन एवं ग्रामीणों के बीच में समझौता करें
न्याय करें उचित मार्गदर्शन करें राष्ट्रीय संपत्ति को बचाए आज समूचे देश में एक एक टन कोयला के लिए थर्मल पावर बंद हो रहा है 5000 टन कोयला निकालने वाला परियोजना यदि बंद हो गया तो यहां से दिल्ली तक हाहाकार मचेगा इसका जिम्मेदार कौन होगा मैं अपील करता हूं कि जिला प्रशासन आगे बढ़कर दखल दे और कोयला प्रबंधन एवं आंदोलनरत ग्रामीणों के बीच सौहार्द पूर्ण वातावरण बनाने में मदद करें और उचित कार्यवाही करें ताकि जिनकी जमीन गई है उन को रोजगार मिले मुआवजा मिले और खदान भी बंद न हो आज यही समय का तकाजा है एटक एसईसीएल के महामंत्री, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मध्यप्रदेश के सहायक राज्य सचिव कामरेड हरिद्वार सिंह ने सभी पक्षों से अपील किया है मिलकर कोई रास्ता निकालें।