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*होली का त्यौहार आते ही बाजारों में रंग गुलाल की भरमार बूढ़े से बच्चे तक इन रंग गुलालों का करते है। उपयोग/लेकिन इस बार कुछ नया*

उमारिया जिला मध्य प्रदेश

*होली का त्यौहार आते ही बाजारों में रंग गुलाल की भरमार बूढ़े से बच्चे तक इन रंग गुलालों का करते है। उपयोग/लेकिन इस बार कुछ नया*

(पढ़िए जिला उमरिया क्राइम ब्यूरो चीफ विश्वकर्मा की रिपोर्ट)

खुशियों की दास्तां
स्व सहायता समूह की महिलाओं ने रसायनिक रंग गुलाल से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए बनाया पलाष से प्राकृतिक रंग
उमरिया 17 मार्च – होली का त्यौहार आते ही बाजारों में रंग गुलाल की भरमार हो जाती है। बूढ़े से लेकर बच्चे तक इन रंग गुलालों का उपयोग करते है। रसायनिक तत्वों से बने यह रंग गुलाल त्वचा एवं शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है। जिला प्रशासन द्वारा आम जन को रसायनिक रंग गुलालो के उपयोग नही करने की समझाईश दी गई है। मां शारदा स्व सहायता समूह की ओर से कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव एवं दिलीप पाण्डेय तथा धनुषधारी सिंह को पलाश के फूल से बने रंग एवं गुलाल भेंट किए।

आजीविका मिशन द्वारा गठित महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने होली के त्यौहार को रंग बिरंगा बनाने की जिम्मेवारी अपने हांथों में ली है। करकेली जनपद पंचायत के ग्राम बरहटा में गठित मां स्व शारदा स्व सहायता समूह की महिलाओं ने आजीविका मिशन के माध्यम से प्रशिक्षण लेकर पलाश से प्राकृतिक रंग एवं गुलाल बनानें का कार्य प्रारंभ किया है। समूह की सदस्य सुनैना चौधरी ने बताया कि पलाश के फूलों एवं बीज को एकत्र कर उसे सुखाकर एवं पीसकर प्राकृतिक रंग गुलाल बनाया जाता है।

एक किलो रंग गुलाल बनाने मे 300 रूपये की लागत आती है, जबकि बाजार में यह 500 रूपये प्रति किलों की दर से बिकता है। जिलावासियों द्वारा यह रंग गुलाल काफी पसंद किया जा रहा है । इसलिए समूह ने इसे मुख्य गतिविधि के रूप मे चयनित कर आर्थिक उन्नति का साधन बनाया है। उन्होंने महिलाओं को स्व सहायता समूह के माध्यम से संगठित कर सामाजिक एवं आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनानंे हेतु प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से दिए जा रहे प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया है।
प्रस्तुतकर्ता
गजेंद्र द्विवेदी

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