*मध्य प्रदेश कृषि विभाग उप संचालक एवं किसान कल्याण ने कहा मिट्टी की उर्वरक शक्ति जानने के लिए मिट्टी परीक्षण अवश्य करवाएं*
उमारिया जिला मध्य प्रदेश

*मध्य प्रदेश कृषि विभाग उप संचालक एवं किसान कल्याण ने कहा मिट्टी की उर्वरक शक्ति जानने के लिए मिट्टी परीक्षण अवश्य करवाएं*
(पढ़िए जिला उमरिया से ब्यूरो चीफ किशन विश्वकर्मा की रिपोर्ट)
मिट्टी परीक्षण हेतु अपील
उमरिया – जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठि हो बोरा डूबन डरा रहा किनारे बैठि संत रहीमदास ने इस दोहे में कहा है कि परमात्मा की प्राप्ति खोज द्वारा हो सकती है। ठीक उसी प्रकार यदि हम मिट्टी की जांच करें और उसके अनुसार उर्वरकों का सही एवं संतुलित मात्रा में उपयोग करें तो अवश्य ही अधिक पैदावार प्राप्त होगी।
उप संचालक कृषि विभाग एवं किसान कल्याण ने कहा कि मिट्टी की उर्वरक शक्ति जानने के लिए मिट्टी परीक्षण जरूरी है। फसल के संपूर्ण विकास हेतु 16 विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन तत्वों में से तीन मिट्टी तत्व (कार्बन हाईड्रोजन एवं आक्सीजन) वायु एवं जल द्वारा प्राप्त होते हैं। बाकी तेरह परीक्षण तत्वों को पौधे भूमि से ग्रहण करते है। यह तत्व नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश (मुख्य तत्व) चूना, गंधक, मैग्रीशियम, लोहा, मैगनीज, बोरान, जस्ता, तांबा, मालीबिडनाम तथा क्लोरीन है।
पौधों द्वारा इन तत्वों का अधिशोषण विभिन्न मात्रा में किया जाता है। लगातार फसल उगाने तथा खेती के आधुनीकरण के कारण इन तत्वों की कमी आती जा रही है। विशेषकर प्रमुख तीन तत्वों- नवजन, फास्फोरस एवं पोटाश की मिट्टी द्वाराही पोषक तत्वों की कमी या अधिकता ज्ञात की जा सकती है। साधारण रूप में मिट्टी की जांच से अभिप्राय है कि मिट्टी कितना ताकतवर है या कितनी कमजोर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो निम्न जानकारी मिलती है (क) मिट्टी पी.एच.मान. जमीन अम्लीय या क्षारीय है इसका माप पी. एच द्वारा होता विभिन्न फसलों के लिए यहू अलग-अलग है। उर्वरकों का उपयोग भी परीक्षण के अनुसार 150 से प्रकार क्षारीय पर निर्भर इसी पर है। ष्जमीन में मिट्टी से 350 किलोग्राम चूना प्रति हेक्टेयर के जमीन में 2-3 टन जिप्सम प्रति है पी.एच. अम्लीय दर से करते है।
इसी मान को डिग्री कम करने रने के लिये करते है।। (ख) घुलनशील ष्मिट्टी में पाये जाने वाले संपूर्ण घुलनशील लवणो की मात्रा एक विशेष स्तर से बढ़ती है तो मिट्टी लवण क्षारीय हो और न ठीक से उग पाते हैं और न डी खाद का उपयोग कर ष्पाते हैं। जैविक मिट्टी में जैविक कार्बन तथा नत्रजन एक निश्चित अनुपात में इसमें पौधे कार्बन पाये जाते है यह अनुपात प्रायरू 10.1 है। नत्रजन की मात्रा पता होने पर हम विशेषकर आवश्यक नत्रजन की मात्रा ज्ञात करके उसके अनुसार उर्वरक का उपयोग करते है। (घ) उप उपलब्ध कभी-कभी फसल काफी बढ़ जाती है परंतु कल्ले नहीं निकलते या दाने अच्छे नहीं पड़ते। यह स्थिति फास्फोरस रस की कमी कमी बताती फास्फोरस ।
ष्मिट्टी में उपलब्ध फास्फोरस की मात्रा का पता लगाकर फास्फोरस के उर्वरक का उपयोग करते है (ड) उपलब्ध द्य पोटेशियम आवश्यक पोटेशियम तत्व की मात्रा जानकर देने से विशेष फसल में लाभ होता है। 1 नत्रजन पौधों की वानस्पतिक वृद्धि ठीक होती है। पौधों को हरा रंग प्रदान करता है जिससे उनमें क्लोरोफिल एवं प्रोटीन बढ़ते है। पत्तियों वाली सब्जियों में गुणवत्ता लाता है। 2 फास्फोरस जड़ों का विकास ठीक से होता है फूल लगने को गति प्रदान करता है दाल वाली फसलों की जड़ों में पायी जाने वाली गाठे बनाने में भी मदद करता है। 3. पोटेशियमरू- पौधों में रोग, सर्दी तथा अन्य विपरीत बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। दाने तथा बीज में नरमता लगता है।
मिट्टी का नमूना लेने की विधि
प्रत्येक खेत से अलग-अलग नमूना लें। नमूना फसल की बुवाई से पहले एकत्र करें ध्यान रखे खेत में कंपोस्ट एवं उर्वरकों का प्रयोग नहीं होना चाहिए। नमूना लेने से पूर्व जमीन में से घासफूस साफ करें तथा खुरपी व फावड़े से व्ही (ट) के आकार का गडढा बनावें। . कुदाली एवं खुरपी से 6 से 8 गहराई तक की मिट्टी का समान मोटाई वाली परत तराश कर नमूने एकत्र करें। एकत्र की गई मिट्टी को कपड़े या पालीथीन में रखकर अच्छी तरह से मिलायें तथा मिले हुये भाग से आधा किलोग्राम मिट्टी जांच के लिए रखें।
सूचना पत्र
किसान का नाम व पिता का नाम ।. गांव तथा पोस्ट ।. ब्लॉक एवं तहसील ।. जिला । खेत का खसरा नंबर । खेत का चालू नाम ।. पहले बोई गयी फसल ।. मिट्टी का नमूना होने की तारीख ।. प्रस्तावित बोई जाने वाली फसल 10 मिट्टी का नमूना एकत्र करने वाले का नाम एवं हस्ताक्षर। बताई गई विधि से अनुसार नमूने एकत्र करके सूचना पत्र भरकर, मिट्टी के नमूनों को, मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला कृषि उपज मण्डी समिति उमरिया को प्रेषित करे ताकि मिट्टी की जांच हो सके। मिट्टी हमारी माता है इसे खराब होने से बचाना हमारा नैतिक कर्तव्य है।