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*आखिरकार किसके शय पर चल रहा जिले में शिक्षा के साथ खिलवाड़ जिले में इन दिनों उच्च शिक्षा देने के नाम पर जमकर चल रही भर्रेशाही*

अनुपपूर जिला मध्य प्रदेश

फर्जी मान्यता और बिना मापदंडों के जिले में चल रहे कई कॉलेज,जिला प्रशासन बना मूकदर्शक

आखिरकार किसके शय पर चल रहा जिले में शिक्षा के साथ खिलवाड़

जिले में इन दिनों उच्च शिक्षा देने के नाम पर जमकर चल रही भर्रेशाही

संवाददाता – संभागीय ब्यूरो चीफ

अनूपपुर/मध्य प्रदेश शासन के नियमों व मापदंडों को दरकिनार कर उच्च शिक्षा देने के नाम पर संचालक मनमानी पर उतारू हैं। अनूपपुर जिले में इन दिनों उच्च शिक्षा देने के नाम पर जमकर भर्रेशाही चल रही है।

शिक्षा व व्यवस्था देने के नाम पर उच्च शिक्षा संस्था प्राइवेट कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों से मोटी रकम तो वसूली जाती है। उच्च शिक्षा-दीक्षा व व्यवस्था के नाम पर ढकोसले बाजी कर पढ़ने लिखने वाले छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ जिले सहित नगर के नर्सिंग कॉलेज में चल रहा है। जिला मुख्यालय सहित कोतमा नगर में कुछ दिनों पूर्व नर्सिंग कॉलेज गुपचुप तरीके से खोले जा रहे है और किराए के मकान पर चल रहे है। इंस्टिटयूट आफ नर्सिंग कॉलेज बीएससी नर्सिंग कोर्स की पढ़ाई का एडमिशन भी जोर-शोर से चल रहा है, वहीं छात्र छात्राओं को बीएससी नर्सिंग कोर्स कराने के खूब लुभावने सपने भी दिखाये जा रहे हैं।

कॉलेज का निरीक्षण कहीं जबकि कॉलेज कहीं –

जिले में संचालित नर्सिंग कॉलेज के संचालको ने उच्च शिक्षा व व्यवस्था देने के नाम पर अभिभावकों एवम छात्रों को परदे के पीछे रखकर उनसे ठगी का काम किया है। बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई करवाने के नाम पर प्रतिवर्ष प्रतिछात्र 70 हजार रुपए फीस रखी गई है परंतु नर्सिंग कॉलेज के संचालक द्वारा शासन प्रशासन के मापदंडों को ठेंगा दिखाकर जिले में कॉलेज संचालित किया जा रहा है। वही सूत्रो की माने तो लॉकडाउन के समय चोरी-छिपे मान्यता लेने के चक्कर में स्कूल का निरीक्षण भोपाल से आई हुई टीम को करा कर मान्यता ले ली गई।

लेकिन निरीक्षण जिस जगह पर कराया गया उपरोक्त जगह मे नर्सिंग कॉलेज नहीं है, वही कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेटिव हेड से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने इस बात से साफ इंकार कर दिया। वही सूत्र बताते हैं कि 8 से 10 कमरों के मकान को किराए पर लेकर नर्सिंग कॉलेज संचालित किया जा रहा है, नर्सिंग कॉलेज में छात्रावास का अता-पता ही नही है और न ही पार्किंग व्यवस्था का।

एक तरह से कहा जाए तो ये सुविधाएं भगवान भरोसे है तो वही ग्राउंड व्यवस्था तो कोसो दूर। अब प्रश्न यह उठता है कि जब नर्सिंग कॉलेज के पास कुछ सुविधाएं है ही नहीं तो फिर कैसे शासन से नर्सिंग कॉलेज को बीएससी नर्सिंग कराने की मान्यता दे दी गई।

कॉलेज के संचालन हेतु यह कहते हैं मापदंड –

नर्सिंग कॉलेज संचालित करने के लिए शासन ने यह नियम निर्धारित किए है जैसे कि फंडामेंटल नर्सिंग, मिडवाइफरी एंड चाइल्ड हेल्थ, कम्युनिटी हेल्थ, एनाटॉमी एंड फिजियोलॉजी लेबोरेट्री, न्यूट्रीशन, एडवांस स्किल और कंप्यूटर लैब आदि वही संस्था में काम करने के लिए निजी सहायक/लिपिक को स्नातक पास, लाइब्रेरियन को पुस्तकालय में डिग्री अथवा डिप्लोमा, प्रयोगशाला सहायक को दसवीं कक्षा उत्तीर्ण एवं वाहन चालक को वैध लाइसेंस धारी होना आवश्यक है, लेकिन यहां इन सभी मापदंडों का कोई खयाल ही नहीं है।

वही लेक्चर हॉल न्यूनतम 600 वर्ग फीट, नर्सिंग फाउंडेशन प्रयोगशाला 1500 वर्ग फीट, सीएचएन और न्यूट्रीशन प्रयोगशाला, एडवांस नर्सिंग स्किल प्रयोगशाला, ओबीजी और पीडियाट्रिक्स प्रयोगशाला, प्री क्लीनिक साइंस प्रयोगशाला उक्त सभी 900 वर्ग फीट, कंप्यूटर और ऑडियो विजुअल प्रयोगशाला 1500 वर्ग फीट, मल्टीपरपज हॉल 3000 वर्ग फीट, कॉमन कक्ष 1000 वर्ग फीट, प्रशासकीय स्टाफ कक्ष कम से कम 400 वर्ग फीट, प्राचार्य कक्ष 300 वर्ग फीट, उप प्राचार्य कक्ष 200 वर्ग फीट, लाइब्रेरी 1800 वर्ग फीट, डिपार्टमेंट हेड कक्ष कम से कम 600 वर्ग फीट, शौचालय कम से कम 30 की 30 छात्र छात्राओं के लिए वैकल्पिक सुविधा होनी चाहिए। किंतु जिले में चल रहे नर्सिंग कॉलेज में बीएससी नर्सिंग की सीट निर्धारित है जिसमे वर्तमान समय में 35 से अधिक सीटें भरी जा चुकी है, लेकिन यहां व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है।

इनका कहना है –

आपसे जानकारी प्राप्त हुई है, मैं पूरे मामले से अवगत होकर जांच करवाता हूं निश्चित रूप से कार्यवाही की जाएगी।

सरोधन सिंह
अपर कलेक्टर अनूपपुर

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