*नर्सो ने खोला मोर्चा कामकाज बंद, मांगों को लेकर नर्सेस अनिश्चित कालीन हड़ताल पर मांग पूरी नही तो काम नही, सरकार के खिलाफ नर्सो ने लगाए नारे*
शहडोल जिला मध्यप्रदेश

नर्सो ने खोला मोर्चा कामकाज बंद, मांगों को लेकर नर्सेस अनिश्चित कालीन हड़ताल पर
मांग पूरी नही तो काम नही, सरकार के खिलाफ नर्सो ने लगाए नारे
संभागीय ब्यूरो चीफ चन्द्रभान सिंह राठौर कि कलम से
अनूपपुर/शहडोल
अनूपपुर शहडोल जिले के नर्सेस अपनी माँगो को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चली गयी हैं प्रथम चरण दिनांक 28 जून 2021 को मध्यप्रदेश की समस्त नर्सेस सामूहिक अवकाश पर रहीं तथा द्वितिय चरण दिनांक 30 जून 2021 को मध्यप्रदेश की समस्त नर्सेस अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चली गयी हैं कोरोनकाल में अपनी सेवाओं से लाखों लोगों की जिन्होंने ने ज़िन्दगी बचाई, व खुद अपनी जान जोखिम में डाल कर अपने परिवार की चिंता किए बिना अपने आपको मानव सेवा के लिए समर्पित करने वाली नर्सेस सामूहिक हड़ताल पर चली गई, पूर्व में नर्सेस ने इस बावत स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर अपनी मांगों से अवगत कराते हुए कहा थी कि नियत तिथि तक यदि हमारी माँगे पूरी नही होती तो हमारे संगठन द्वारा पूरे प्रदेश में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चली गयी हैं। इस बात का ज्ञापन जिला प्रशासन को भी दिया जा चुका है।
कोरोनकाल में कई नर्सेस की सेवा के दौरान कोरोना की चपेट में आ जाने से उनकी मृत्यु हो गई जिससे अब परिवार के समक्ष और रोटी पानी की समस्या उत्पन्न हो गई सेवाओं में हमेशा उत्कृष्ट रहने वाली इन नर्सेस को प्रशासन द्वारा इस तरह अनदेखी करना कहीं भारी न पड़ जाए, नर्सेेेस एसोसिएशन द्वारा किए जा रहे सामुहिक हड़ताल से आने वाले दिनों में मरीजो को भारी दिक्कतों का सामना न करना पड़े इस पर प्रशासन क्या नियम और शर्ते मानती है यह सवाल अभी समय के हांथो में है, अब देखना यह है कि नर्सेस की निरतंर उपेक्षा सरकार को भारी न पड़ जाए।
क्या है माँगे
1. उच्च स्तरीय वेतनमान (2nd grade) अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में कार्यरत समस्त नर्सों को दिया जाये !
2. पुरानी पेंशन योजना लागू की जाये !
3. कोरोना काल में शहीद हुये नर्सिंग स्टाफ के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने के साथ साथ 15 अगस्त को राष्ट्रिय कोरोना योद्वा अवार्ड से सम्मानित किया जाये !
4. कोरोना काल के शाषन स्तर पर जितनी भी घोषणा की गयी है उन पर अमलनहीं किया गया कोविड 19 में नर्सों को सम्मानित करते हुए अग्रिम 2 वेतन वृद्धि का लाभ उनकी सेलरी में लगाया जाये !
5. 2018 में आदेश भर्ती के नियमों में संसोधन करते हुए। 70%, 80%,90% का नियम हटाया जाये एवंम प्रतिनियुक्ति समाप्त कर स्थानातरण की प्रक्रिया शुरू की जाये !
6. सरकारी कालेजों में सेवारत रहते हुए नर्सेस को उच्च शिक्षा हेतु आयु बंधन हटाया जाये एवमं प्रतिनियुक्ति समाप्त कर स्थानातरण की प्रक्रिया शुरू की जाये !
7. कोरोना काल में अस्थाई रूप से भर्ती की गयी नर्सेस को नियमित किया जाये एवम प्राइवेट कंपनी से लगाई गई नसों को भी उनकी योग्यता अनुसार नियमित किया जाये ! कोरोना काल में इनके योगदान को भी उनकी योग्यता अनुसार नियमित किया जाये ! कोरोना काल मे इनके योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है !
8. मध्यप्रदेश में कार्यरत नर्सेस को एक ही विभाग मे समान कार्य के लिये समान वेतन दिया जाये !
9. वर्षों से लंबित पडी पदोन्नति को शुरू करते हुए नर्सेस को पदोन्नति की जाये और नर्सेस को डेजिगनेसन प्रमोशन दिया जाये !
10. मेल नर्स की भर्ती की जाये !
11. स्वशासी में पदस्थ नर्सेस को 7 वी पे कमीशन का लाभ सन 2018 के बजाये कर्मचारियों की भाँति सन 2016 से दिया जाये !
12. शासकिये नर्सिंग कालेज वा अध्ययनरत क्षात्राओ को कलेक्ट्रेट पर मानदेय दिया जाये लागत 18000 रू माह !
नर्सेस एसोसियसन मध्यप्रदेश बड़े दुख के साथ आंदोलन की घोषणा करता है क्यों की एसोसियसन ने शाषन व प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिये विशेष सप्ताह में छोटे छोटे चरण बिना सरकारी कार्य में बाधा डाले किये ! हमारी मांग भी शासन व प्रशासन तक पहुँच जाये और मरीजों को भी परेशानी ना हो पर शासन व प्रशासन के पास शायद नर्सेस की मांगों पर विचार करने के लिये वक्त नही है ! इससे नर्सेस अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रही हैं व आंदोलन की राह पर जाने को विवश है ! यदि हमारे आंदोलन से किसी को भी किसी प्रकार की परेशानी होती है तो उसकी समस्त जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी सामूहिक हड़ताल पर जाने से पहले नर्सेस एसोसिएशन द्वारा हड़ताल की पूरी रूपरेखा तैयार कर उच्च अधिकारियों को सौंपी,जिसमे उल्लेख किया गया था कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों के इलाज का बड़ा संकट उत्पन्न हो जाएगा इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन अपनी तैयारियां नर्सेस एसोसिएशन के हड़ताल में जाने से पूर्व सुनिश्चित करें। ताकि किसी भी तरह की परेशानी न हो।
सब जायज पर कहां गई मानवता
नर्सेस कि मांग जायज है परन्तु इनका कार्य करने का तरीका उतना ही गलत है क्योंकि इस दौरान अस्वस्थ मरीज एवं गर्भवती महिलाओं को इनके हड़ताल में जाने कि वजह से उपयुक्त उपचार नहीं मिल पा रही है जिससे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, माना जाय तो इनके द्वारा हड़ताल के दौरान मानवता को देखते हुए गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार करना चाहिए जिससे दो जिंदगियों के साथ खिलवाड़ ना हो सके। यदि इस स्थिति में उपचार ना होने पर कुछ भी 19,20 घटना घटित होती है इसका जिम्मेवार कौन होगा प्रशाशन या नर्स जो भगवान स्वरूप माने जाते हैं प्रश्न चिन्ह उठना लाजमी??
वहीं दूसरी ओर डॉक्टर के पर्सनल क्लीनिक खोलकर बैठने और सरकार द्वारा स्वाथ्य सुविधा प्रदान करने के बावजूद उपचार के दौरान भेद भाव और लापरवाही से गरीबों को असुविधा हो रहे कारणों को भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए जिससे गरीबों और अशहायों को असुविधा का सामना ना करना पड़े।
गर्भवती महिलाओं का लिया जाता है पर्ची का पैसा
गर्भवती महिलाओं के टीका उपरांत आंगनवाड़ी से प्राप्त कार्ड के बाद कहा जाता है कि इनके पर्ची और उपचार का पैसा नहीं लिया जाता परन्तु जिला मुख्यालय में ही अस्पताल में भ्रष्टाचार हो रहा है फिर अन्य स्थानों कि क्या बातें करें जबकि जैतहरी स्वास्थ्य केंद्र में ऐसा नहीं है बल्कि वहां इनके लिए किसी भी तरह के शुल्क नहीं लिए जाते हैं। प्रशाशन को इस ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि हर समय सही नहीं होता।