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कुंवारपुर धान खरीदी केंद्र में लिमिट न बढ़ने से किसान बेहाल ऑनलाइन टोकन के बावजूद 15 दिन बाद नंबर, 700–800 क्विंटल खरीदी से किसानों ने जताई नाराजगी

जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

कुंवारपुर धान खरीदी केंद्र में लिमिट न बढ़ने से किसान बेहाल ऑनलाइन टोकन के बावजूद 15 दिन बाद नंबर, 700–800 क्विंटल खरीदी से किसानों ने जताई नाराजगी

(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)

एमसीबी/भरतपुर।
छत्तीसगढ़ राज्य के जिला एमसीबी अंतर्गत भरतपुर विकासखंड की उपतहसील कुंवारपुर स्थित धान खरीदी केंद्र में खरीदी लिमिट न बढ़ाए जाने से क्षेत्र के किसान गंभीर परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

धान खरीदी की धीमी रफ्तार, कम दैनिक लिमिट और प्रशासनिक उदासीनता के चलते किसानों का गुस्सा अब सड़कों पर दिखाई देने लगा है।

किसानों ने बताया कि शासन की व्यवस्था के अनुसार वे ऑनलाइन टोकन कटवा रहे हैं, लेकिन टोकन कटने के बाद भी 10 से 15 दिन बाद उनका नंबर आ रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि किसान अपनी उपज आखिर कहां और कब बेचे। खुले में लंबे समय तक धान रखने से न सिर्फ गुणवत्ता खराब हो रही है, बल्कि नुकसान का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।

ग्रामीण किसानों का आरोप है कि खरीदी केंद्रों में प्रतिदिन मात्र 700 से 800 क्विंटल धान की ही खरीदी की जा रही है, जबकि क्षेत्र में उत्पादन कहीं अधिक है। कम लिमिट के कारण हजारों क्विंटल धान किसानों के घरों और खेतों में पड़ा हुआ है।

किसानों का कहना है कि यदि समय पर धान की खरीदी नहीं हुई तो उन्हें भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ेगी।

मामले को और गंभीर बनाते हुए किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि शासन में बैठे अधिकारी-कर्मचारी किसानों के साथ मिलकर धान जब्ती जैसी कार्रवाई कर रहे हैं, जो पूरी तरह गलत है। किसानों का कहना है कि नियमों के नाम पर कभी नायब तहसीलदार तो कभी अन्य अधिकारी खरीदी केंद्रों में धान जब्त कर रहे हैं,

जबकि किसान पहले से ही संकट में है। इससे यह संदेश जा रहा है कि अधिकारी और कर्मचारी मिलकर किसानों के साथ धोखा कर रहे हैं।

धान खरीदी की समस्याओं को लेकर नाराज किसानों ने एसडीएम कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन भी किया, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

किसानों का आरोप है कि कई बार ज्ञापन देने और मौखिक शिकायतों के बावजूद खरीदी लिमिट नहीं बढ़ाई गई, जिससे उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।

नाराज किसान खरीदी केंद्रों के लगातार चक्कर काटने को मजबूर हैं। सुबह से शाम तक लाइन में लगने के बाद भी जब धान नहीं बिकता, तो किसान मायूस होकर लौट जाते हैं।

किसानों का कहना है कि शासन की गाइडलाइन के अनुसार धान की लेवर तौल, सील और सुरक्षित भंडारण तक की पूरी प्रक्रिया तय है, इसके बावजूद खरीदी में लापरवाही समझ सेजिम्मेदारी परे है।

किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही धान खरीदी की लिमिट नहीं बढ़ाई गई और टोकन व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया, तो आंदोलन को उग्र रूप दिया जाएगा। इसकी पूरी शासन-प्रशासन की होगी।

धान खरीदी जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में प्रशासन की निष्क्रियता ने किसानों के सब्र की परीक्षा ले ली है।

अब देखने वाली बात होगी कि शासन और जिला प्रशासन किसानों की इस गंभीर समस्या पर कब और क्या कार्रवाई करता है।

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