प्राथमिक शाला झिमडीपारा में मध्यान्ह भोजन गरीब बच्चों को कीड़े वाला खाना खिलाकर जिंदगी से कर रहा खिलवाड़
तहसील भरतपुर जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

प्राथमिक शाला झिमडीपारा में मध्यान्ह भोजन गरीब बच्चों को कीड़े वाला खाना खिलाकर जिंदगी से कर रहा खिलवाड़
(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)
बच्चों को परोसा गया कीड़े वाला चावल, सहायिका बोलीं– “तो क्या करें?
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर क्षेत्र का मामला
वनांचल क्षेत्र भरतपुर की प्राथमिक शाला झिमडीपारा में मध्यान्ह भोजन (Mid-Day Meal) से जुड़ी गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां बच्चों को कीड़े लगे चावल परोसे गए, जिसे खाकर नन्हें बच्चों को मजबूरी में खाना पड़ा।
स्कूल में सिर्फ 25 बच्चे, फिर भी लापरवाही
जानकारी के अनुसार इस विद्यालय में कुल 25 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। भोजन परोसे जाने के समय ही यह स्पष्ट हो गया था कि चावल में कीड़े लगे हुए हैं। बावजूद इसके, बच्चों की थाली में वही भोजन परोस दिया गया।
बच्चों ने खुद निकाले चावल से कीड़े
चावल परोसे जाने के बाद बच्चों ने मजबूरी में खाना खाते समय चावल से कीड़े निकालकर खाया। यह दृश्य बेहद चौंकाने वाला और हृदयविदारक था।
इससे स्पष्ट है कि सुदूर वनांचल क्षेत्रों में मध्यान्ह भोजन की स्थिति कितनी दयनीय
है।
सहायिका का गैर-जिम्मेदाराना बयान
विद्यालय में मध्यान्ह भोजन बनाने वाली सहायिका भवनिया यादव ने इस मामले में बेहद गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया। उन्होंने कहा—
“चावल में कीड़ा लग गया है, तो क्या करें? अब वहीं बनाकर खिलाते हैं।
उनका यह रवैया प्रशासनिक निगरानी और खाद्यान्न वितरण व्यवस्था की पोल खोलता है।
बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़
इस घटना से बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता था।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार बच्चों को पोषण देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है,
लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी कड़ी निगरानी और गुणवत्ता जांच का अभाव है।
ग्रामीणों की नाराज़गी

ग्रामीण अभिभावकों ने इस घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों को मिलने वाला भोजन अगर इस स्थिति में परोसा जाएगा तो मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।
प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों और अभिभावकों ने प्रशासन से मांग की है कि—
* मध्यान्ह भोजन वितरण की गुणवत्ता की जांच की जाए।
* दोषी सहायिका और संबंधित जिम्मेदारों पर कड़ी कार्यवाही हो।
* भविष्य में बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ न हो, इसके लिए सख्त निगरानी व्यवस्था लागू की जाए।
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यह घटना केवल एक स्कूल की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में मध्यान्ह भोजन योजना की जमीनी हकीकत को उजागर करती है।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर लापरवाही पर क्या कदम उठाता है।




