*गरीबों और मजदूरों का शोषण कर रही है मोजर बेयर कंपनी – गरीब, मजदूर, किसान*
तहसील जैतहरी अनूपपुर जिला मध्य प्रदेश

गरीबों और मजदूरों का शोषण कर रही है मोजर बेयर कंपनी – गरीब, मजदूर, किसान
नोकरी दे पाने में नाकाम रही मोजर बेयर कंपनी
जन चौपाल में आवेदकों ने सुनाई आप बीती, लगाई न्याय कि गुहार
संवाददाता – संभागीय ब्यूरो चीफ के साथ ब्लॉक जैतहरी से ब्लॉक रिपोर्टर विकास सिंह राठौर कि खास खबर
अनूपपुर/जैतहरी
जैतहरी पावर प्लांट से विस्थापित हुए चार सौ चौतीस हितग्राहियों की जमीन तो प्लांट ने ले ली लेकिन सुविधाओं से अभी भी उन्हें महरूम ही रखा है आलम यह है कि आज भी जिला प्रशासन चौपाल के माध्यम से उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने की बात कह रहा है मगर कंपनी है कि आदर्श पुनर्वास नीति 2002 का पालन करते हुए नहीं दिख रही है इसी का नतीजा है कि लोग अपनी शिकायतें जिला प्रशासन के सामने रखने पर मजबूर हैं।
जैतहरी में भी दिखा शिकायत का अंबार
जैतहरी से सटे मोजर बेयर पावर प्लांट से दुखी हितग्राहियों को राहत पहुंचाने के लिए बीते 3 दिनों से विस्थापितों में ग्रामों में जन चौपाल का आयोजन जिला प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है। जिसके तहत आज तीसारी जन चौपाल लगाई जहाँ पर भी शिकायतो का अंबार देखने को मिला।
वर्षो से जारी है विस्थापितो की माँग
बीते के वर्षो से हितग्राहियों को न तो रोजगार का लाभ मिला है और ना ही सुविधाएं ऐसे में हितग्राही इन चौपालों के माध्यम से अपनी समस्याएं जिला प्रशासन के सामने रख रहे हैं। आज के समय में विस्थापित हुए परिवारों को न तो स्थाई रोजगार की सुविधा मिली है और न ही किसी प्रकार की अन्य सुविधाएं जिसमें पेंसन ,भत्ता, विधवा पेंशन, मुआवजा, शिक्षा समेत अन्य अनुदान भी हितग्राहियों को नसीब नहीं हो पा रहा है ऐसे भी हितग्राही हैं
जो आज भी जन चौपाल के माध्यम से अपनी शिकायत लेकर जैतहरी जनपद के कक्ष में पहुंचे हुए थे 200 से भी अधिक हितग्राहियों ने अपनी कई एकड़ जमीन प्लांट को इस उम्मीद पर ही थी थी कि शायद बदलते वक्त के साथ उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता नजर आएगा मगर ऐसा हो ना सका कंपनी के छलावे ने इन्हें इस कदर ठगा की आज भी यह हितग्राही विस्थापन का दंश झेलते हुए अपनी मांगों को लेकर जन चौपालों में पहुंचे हुए हैं कई मांगों को मांगते हुए भगवान तक को प्यारे हो गए लेकिन कंपनी है कि इन्हें सुविधा देने के नाम पर छलावा ही देते नजर आ रही है।
ऐसा तब हो पा रहा है जब जिला प्रशासन बीते कई सालों से चौपाल लगाकर लोगों की समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास कर रहा है लेकिन समस्या है कि कम होने का नाम नहीं ले रही है और कंपनी है कि उन्हें पूरा करने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।
पॉवर प्लांट का नाम बदला हालात जस के तस
इतना ही नहीं जिन गांव को कंपनी ने गोद लिया था उन्हें भी आज तक सुविधाओं से महरूम रखा गया इसी का नतीजा है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, शुद्ध पेयजल, समेत स्थाई नौकरी दे पाने में मोजर बेयर पावर प्लांट जो अब हिंदुस्तान पावर लिमिटेड हो चुकी है आज भी हितग्राहियों की पीड़ा जस की तस बनी हुई है।
अकेले जैतहरी जनपद के ही कई हितग्राहियों की जमीन रेलवे लाइन व प्लांट में अधिग्रहण हुई थी, उन्हें भी केवल आश्वासन ही हाथ लगा है।
खेती तक नही कर पा रहे किसान
इन सबके अलावा बुद्धू सिंह जैसे हितग्राही हैं जिनकी जमीनें रेलवे लाइन से दो फाड़ हो गई हैं अब उन्हें भी अपनी जमीन जोतने के लिए कंपनी के आगे एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है मगर कंपनी है कि कोई सुनवाई नहीं कर रही है।
कंपनी में लगे सुरक्षा गार्ड उन्हें अपनी ही जमीन में जाने से रोक रहे हैं जिसके चलते वह खेती किसानी नहीं कर पा रहे हैं इतना ही नहीं किसानों की जमीनों पर कंपनी गंदे पानी तक बहा रही है जिसके चलते भी किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
भत्ते व शिक्षा तक सीमित रेखा केवट का परिवार
रेखा केवट भी उन अधिकारियों में शामिल है जिनकी जमीन प्लांट ने अधिग्रहित कर ली थी उक्त जमीन उनके ससुर के नाम पर थी पर सुविधा के नाम पर केवल उन्हें ₹2800भत्ता व बच्चों की पढ़ाई स्कूल पर मिल रही है लेकिन नौकरी उन्हें नहीं मिल पा रही है
ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद भी रेखा के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ है बीते 3 साल पहले उनके पति की मौत हो चुकी है वही जेठानी भी अब विधवा है जिनके दो बच्चे हैं बच्चे भी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं लेकिन उन्हें इलाज मिल पाने में समस्या हो रही है ऐसे में रेखा केवट जा रही हैं कि उन्हें भी अगर स्थाई नौकरी मिल जाती तो उनका भी परिवार का पालन पोषण आसानी से हो सकता मगर कंपनी रेखा केवट के अलावा अन्य हितग्राहियों पर भी कोई ध्यान नहीं दे रही है जिसके चलते हितग्राही आज चौपाल में पहुंचे हुए थे।
परिवार कर रहा आत्महत्या की माँग
2 सैकड़ा से भी अधिक हितग्राहियों में को महेश राठौर भी शामिल हैं जिनकी जमीन भी रेलवे साइडिंग में गई थी उन्हें भी कंपनी के द्वारा आश्वासन मिला था कि परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाएगी। नॉकरी तो नही मिली जिसके लिए महेश के 2 साल पहले हाइकोर्ट का दरवाजा तक खट खटाया है। मगर नतीजा सिफर ही रहा है। मगर कंपनी स्थाई नौकरी दे पाने में को दुलाल के मामले में असमर्थ नजर आ रही है ऐसे में नौकरी न दे पाने पर चौपाल में ही प्रशासन के सामने सामूहिक आत्महत्या की मांग भी महेश राठौर के द्वारा कर डाली है।
क्या कहती है पुनर्वास नीति
मध्य प्रदेश की आदर्श पुनर्वास नीति 2002 उन क्षेत्रों में लागू होती है जहां पर सरकारी व निजी क्षेत्रों से आ रही बड़ी-बड़ी कंपनियों के द्वारा पावर प्लांट व उत्पादन से संबंधित कंपनियां खोली जाती हैं जिनके लिए अधिग्रहित हुई भूमि पर सरकारी आदेश के तहत आदर्श पुनर्वास नीति का पालन करने के अनुबंध कंपनी व सरकार के बीच होता है मगर अधिग्रहित क्षेत्र में पहुंचने के बाद आदर्श पुनर्वास नीति दम तोड़ती नजर आती है कंपनी अपनी भाषा के तहत पुनर्वास नीति करते हुए पालन करने की बात करती है जिसके तहत हितग्राही बीते 14 साल से गुमराह हो रहे हैं वही कंपनी जिला प्रशासन से लेकर हाई कोर्ट तक को गुमराह करती नजर आ रही है। पुनर्वास नीति पालन कराने हाइकोर्ट पहुँचे हितग्राही 55 हितग्राहियों ने आदर्श पुनर्वास नीति को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन कंपनी ने कोर्ट तक को गलत जानकारी दे डाली।
स्थाई नॉकरी की हो रही माँग
जन चौपाल में यह समस्याएं सामने अकेले जैतहरी जनपद के सभागार कक्ष में आयोजित हुई जन चौपाल में मुख्य रूप से स्थाई नौकरी, शिक्षा, पेंशन विधवा पेंशन आर्थिक अनुदान सहित आवेदन आवेदन हितग्राहियों के द्वारा जन चौपाल में जिला प्रशासन को सौंपा गए हैं मुख्य रूप से रोजगार की जगह स्थाई नौकरी की मांग आज भी विस्थापित हुए परिवार के युवा वर्ग के लोग कर रहे मगर कंपनी केवल रोजगार देकर ही अपना कर्तव्य निर्वहन करती नजर आ रही है।