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कमीशन न देने पर वार्ड 32 के पार्षद पति ने हटवाए तीन सफाई कर्मचारियों को पीड़ितों ने नगर निगम आयुक्त से की बहाली और निष्पक्ष जांच की मांग

कटनी जिला मध्य प्रदेश

कमीशन न देने पर वार्ड 32 के पार्षद पति ने हटवाए तीन सफाई कर्मचारियों को पीड़ितों ने नगर निगम आयुक्त से की बहाली और निष्पक्ष जांच की मांग

(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)

मध्य प्रदेश जिला कटनी
वार्ड क्रमांक 32 में तीन आउटसोर्स सफाई कर्मचारियों को अचानक काम से हटाए जाने का मामला सामने आया है।

आरोप है कि पार्षद पति जीवन चौधरी जो कि निर्वाचित पार्षद के नाम पर वार्ड का संचालन कर रहे हैं, ने कथित रूप से कमीशन नहीं देने पर इन कर्मचारियों को बिना कारण कार्य से जबरन हटा दिया।

पीड़ित सफाई कर्मियों – सुनीता संजय, सरिता अमित, सोनम ज्वाला और चंदा ने बताया कि वे 17 सितंबर 2018 से लगातार सेवा में हैं

लेकिन 16 अप्रैल 2025 से उन्हें मौखिक आदेश पर कार्य से हटा दिया गया। उनके अनुसार, कार्य के बदले मासिक वेतन से कमीशन” की मांग की जा रही थी, जिसे अस्वीकार करने के बाद यह कार्रवाई की गई।

रजिस्टर में नाम फिर भी बाहर!

हटाए गए सफाई कर्मचारियों का नाम आज भी हवलदार के उपस्थिति रजिस्टर और आधिकारिक कागजों में दर्ज है, जो यह दर्शाता है कि उनकी नियुक्ति और कार्य रिकॉर्ड में विधिवत दर्ज है।

इसके बावजूद उन्हें कार्यस्थल से बाहर बैठाया जा रहा है, जो साफ तौर पर श्रम कानूनों, मानवाधिकारों और संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है।

चयनात्मक बहाली और भेदभाव का आरोप

शिकायत में यह भी कहा गया है कि तीन अन्य कर्मचारियों – किशन, आनंद और अंजना – को कार्य पर रखा गया है

जबकि बाकियों को केवल इसलिए निकाला गया क्योंकि उन्होंने आर्थिक लेन-देन से इनकार कर दिया।

पीड़ितों ने इसे चयनात्मक बहाली और मनमाने तरीके से कार्य से हटाना बताया है।

ननि आयुक्त तक पहुँची शिकायत, अब तक कार्रवाई शून्य

सफाई कर्मचारियों ने नगर निगम आयुक्त और स्वास्थ्य अधिकारी से भी संपर्क किया। आयुक्त द्वारा कार्रवाई का आश्वासन तो दिया गया, परंतु अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है

जिससे पीड़ित कर्मचारी लगातार रोज़ नगर निगम के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

(पीड़ितों की मांगें)

पीड़ित सफाई मित्रों ने नगर निगम प्रशासन से निम्नलिखित मांगें की हैं:

सभी हटाए गए कर्मचारियों को तत्काल कार्य पर बहाल किया जाए।

पार्षद पति द्वारा किए गए हस्तक्षेप और रिश्वत की मांग की निष्पक्ष जांच हो।

3.आउटसोर्सिंग एजेंसी और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर सख्त कार्यवाही की जाए।
सम्बंधित प्रशासनिक अधिकारियों से अब यह अपेक्षा की जा रही है कि वे श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करें, दोषियों पर कार्यवाही करें और पारदर्शिता व न्याय सुनिश्चित करें।

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