अद्भुत चमत्कार (देवताओं) ने एक रात में किया था (मड़कोलेश्वर) शिव मंदिर का निर्माण, प्रतिदिन बढ़ता है (शिवलिंग) का आकार/जानिए क्या है सच
दमोह जिला मध्य प्रदेश

अद्भुत चमत्कार (देवताओं) ने एक रात में किया था (मड़कोलेश्वर) शिव मंदिर का निर्माण, प्रतिदिन बढ़ता है (शिवलिंग) का आकार/जानिए क्या है सच
(पढिए सागर संभागीय व्यूरो चीफ पुरषोतम साहू की खास खबर)
जिला मुख्यालय दमोह से करीब 30 किलोमीटर दूर दमोह छतरपुर मार्ग पर नरसिंहगढ़ से करीब 10 किलोमीटर ग्राम पंचायत सीतानगर के पास मड़कोलेश्वर शिव मंदिर है।
यहां भगवान शिव की विशाल पिंडी स्थापित है। जहां पूरे प्रदेश से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
ऐसी मान्यता है मंदिर का निर्माण स्वयं देवताओं ने एक रात में किया था।
इसके अलावा इस स्थान पर तीन नदियों का संगम होने के कारण इस स्थान को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है।
यहां पर सुनार, कोपरा नदी आकर मिलती है, कुछ दूरी पर इन दोनों नदियो में जुड़ी नदी भी मिल जाती है, जिस कारण से इसे त्रिवेणी संगम कहते हैं।
प्रतिदिन बदलता है शिवलिंग का आकार
दूर-दूर से भक्त मड़कोलेश्वर शिव मंदिर के दर्शन करने आते हैं तथा भगवान भोलेनाथ के सामने अपनी मनोकामना रखते हैं।
स्थानीय लोगों की माने तो यह मंदिर बड़ा रहस्मयी माना जाता है क्योंकि इस मंदिर को बनाने के लिए सिर्फ पत्थर का उपयोग किया गया है, जिसमें कहीं भी जोड़ नहीं है।
वहीं, मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग दिन प्रतिदिन अपना आकार बदलता और बढ़ता ही जा रहा है।
(हजारों वर्ष पुराना है शिव मंदिर का इतिहास)
इस स्थान के बारे में लोग बताते है कि करीब 1000 वर्ष पूर्व यहां पर एक गांव हुआ करता था
जिसका नाम था मड़कोला। जहां जहरीले, कीड़े तथा भयंकर जानवर रहा करते थे।
यहां के लोग किसी तरह मौत से लड़कर जिंदगी गुजार रहे थे। किंवदंती है कि यहां पर एक चबूतरा बना हुआ था
जिस पर भगवान भोलेनाथ दिखाई दिए जिसके बाद एक रात्रि में स्वयं देवताओं के द्वारा मंदिर बनाया जा रहा था।
तभी इसी गांव की एक महिला ने आटा पीसने वाली हाथ चक्की चला दी।
जिसकी आवाज सुनकर देवता अंतर्ध्यान हो गए और यहां से चले गए।
हालांकि तब तक मंदिर तो पूरा बन चुका था, लेकिन कलश नहीं रख पाया।
वहीं, इस घटना के बाद इस गांव में किसी अज्ञात बीमारी का प्रकोप कहर बनकर टूटा और पूरा गांव वीरान हो गया। कुछ लोग बचे थे जो इस गांव को छोड़ कर चले गए।
इस घटना के बाद यहां लोग आने से डरने लगे। कुछ समय बाद यहां पर एक संत आये जिनका नाम था शिवोहम महाराज।
कठिन तपस्या करके भगवान भोलेनाथ को मनाया तथा उनकी साधना की जिसके बाद यहां पर अनेक चमत्कार होने लगे और आसपास के पड़ोसी गांव से लोग आने लगे और यह स्थान जागृत होकर भक्तों के प्रति आस्था का केंद्र बन गया।
(मढ़कोलेश्वर धाम त्रिवेणी संगम पर मेला)
यहां मकर संक्रांति ,सोमवती अमावस्या और शिवरात्रि पर मेला भी लगता है।
हजारों की संख्या में दूर-दूर से भक्त आते हैं। इसके अलावा सावन के महीने में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शनों के लिए आते हैं।